May 25, 2024

आखिर क्या है नथ उतराई और अंगिया रस्म, जिसके बाद आम लड़की बनती थी तवायफ?

Archana Keshri

संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' इन दिनों काफी चर्चा में है। इस सीरीज में तवायफों के संघर्षों को बखूबी दिखाया गया है।

Source: heeramandinetflix/instagram

इस सीरीज को देखने के बाद लोगों के मन में तवायफों की जिंदगी से जुड़ी बातों को जानने की उत्सुकता बढ़ गई है। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि कैसे और कौन सी रस्में निभाकर एक आम लड़की तवायफ बनती थी।

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एक जमाने में राजा-महाराजा अपने राजकुमारों को तवायफ के पास तहजीब सीखने भेजा करते थे। उस जमाने में तवायफों से मिलना राजा-महाराजाओं का शौक भी हुआ करता था।

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हालांकि, उस समय तवायफ बनना इतना आसान नहीं था। तवायफ बनने के लिए कई सालों का प्रशिक्षण होता था, जिसमें गाना, मुजरा, संगीत, नजाकत सिखाया जाता था। इसके अलावा उन्हें कुछ रस्मों से गुजरना पड़ता था।

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इन रस्मों में अंगिया, नथ और मिस्सी खास थीं। सबसे पहली रस्म होती थी अंगिया, ये तब होती थी जब लड़की बचपन से निकलकर किशोरावस्था में कदम रखती है और उनके शरीर में बदलाव होते थे।

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इस रस्म में कई तवायफें इकट्ठा होती और उस लड़की को अंगिया पहनाती थीं। अंगिया शब्द का इस्तेमाल उस दौर में ब्रा के लिए होता था। ये किसी लड़की का तवायफ बनने की तरफ पहला कदम होता था।

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दूसरी रस्म होती थी मिस्सी। इसमें लड़कियों के दांतों और मसूड़ों को आयरन और कॉपर सल्फेट के पाउडर से काला किया जाता था। उस जमाने में काले दांत और कत्थे से लाल होठ को काफी सुंदर माना जाता था। इस काम को कोठे की सबसे वरिष्ठ सदस्य अंजाम देती थी।

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जब यह रस्म पूरी हो जाती तो उस कोठे में खास आयोजन, नाच-गाना और दावतें होती थीं। एक लड़की के लिए मिस्सी बनने का मतलब था कि वह अब अपनी वर्जिनिटी यानी कौमार्य बेचने के लिए तैयार है।

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तीसरी रस्म होती थी नथ उतराई। इस रस्म में लड़की अपनी वर्जिनिटी बेचती थी। नथ उतराई की रस्म में, लड़की को दुल्हन की तरह सजाया जाता था और नाक के बाईं तरफ एक बड़ी नथ पहनाई जाती थी। ये नथ उसके कौमार्य का प्रतीक होती थी।

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फिर, कई अमीर लोगों को न्योता भेजा जाता था और वर्जिन लड़की के लिए बोली लगाई जाती थी। जो सबसे बड़ी बोली लगाता था, वह उस लड़की के साथ पहली बार संबंध बनाता था। इस रात के बाद लड़की कभी भी नथ नहीं पहनती थी और उसे सिर्फ लौंग पहनने की इजाजत होती थी। नथ उतराई की रस्म के बाद ही लड़की को तवायफ का दर्जा मिल जाता था।

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