रात के आकाश में झिलमिलाते तारे देखने का नजारा बहुत ही खूबसूरत होता है। बचपन से ही हमने कविताओं और कहानियों में तारों के टिमटिमाने का जिक्र सुना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तारे वास्तव में टिमटिमाते नहीं हैं?
दरअसल, केवल हमें ऐसा प्रतीत होता है कि तारे टिमटिमा रहे हैं और इसके पीछे का कारण है पृथ्वी का वायुमंडल (Earth’s Atmosphere)। आइए इस रोचक खगोलीय घटना को विस्तार से समझते हैं।
तारों के टिमटिमाने का मुख्य कारण वायुमंडलीय अपवर्तन (Atmospheric Refraction) है। जब तारों से निकलने वाली रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, तो यह अलग-अलग घनत्व (Density) वाली वायु परतों से टकराती है।
इन परतों में तापमान और हवा के दबाव में अंतर होता है, जिससे प्रकाश का मार्ग बदल जाता है। यह परिवर्तन इतनी तेजी से होता है कि हमें तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो वह मुड़ता है। इस घटना को अपवर्तन (Refraction) कहा जाता है। यदि प्रकाश कम घनत्व (Rarer Medium) से अधिक घनत्व (Denser Medium) में जाता है, तो वह सामान्य की ओर झुकता है।
यदि यह अधिक घनत्व वाले माध्यम से कम घनत्व वाले माध्यम में जाता है, तो यह सामान्य से दूर झुकता है। वायुमंडल में अलग-अलग तापमान और घनत्व के कारण यह प्रक्रिया बार-बार होती रहती है, जिससे हमें तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।
नहीं! तारे वास्तव में टिमटिमाते नहीं हैं, वे केवल पृथ्वी से देखने पर टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। यदि हम किसी तारों को अंतरिक्ष से देखेंगे, तो वे टिमटिमाते हुए नहीं दिखेंगे। पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने के कारण उनकी रोशनी बार-बार मुड़ती रहती है, जिससे हमें यह बदलाव नजर आता है।
नहीं, कुछ तारे अधिक टिमटिमाते हैं और कुछ कम। यह इस पर निर्भर करता है कि वे आकाश में किस स्थान पर हैं।
क्षितिज (Horizon) के पास दिखने वाले तारे ज्यादा टिमटिमाते नजर आते हैं क्योंकि वहां से आने वाले प्रकाश को अधिक वायुमंडलीय परतों से गुजरना पड़ता है, जिससे अधिक अपवर्तन होता है।
आकाश के ऊपर (Zenith) के तारे कम टिमटिमाते हैं क्योंकि उनके प्रकाश को वायुमंडल में कम परतों से गुजरना पड़ता है।