मोती एक कीमती धातु है जिसका उपयोग अंगूठी और लॉकेट बनाने में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये मोती आते कहां से हैं?
मोती प्राकृतिक रूप से ऑयस्टर यानी सीप में बनते हैं। सीप एक प्रकार का समुद्री जीव है जो 20 साल तक जीवित रह सकता है।
केवल मैच्योर ऑयस्टर में ही मोती बनाने की क्षमता होती है। एक वर्ष से अधिक पुराने ऑयस्टर को मैच्योर माना जाता है।
जब कोई रेत का कण या कोई अन्य छोटा कण सीप के शेल के अंदर चले जाता है, तो यह सीप के लिए परेशानी का कारण बनता है।
इस परेशानी से बचने के लिए, सीप एक प्रकार का चमकदार पदार्थ यानी फ्लूइड रिलीज करता है जिसे 'नैक्रे' (Nacre) कहा जाता है।
धीरे-धीरे ये परत कंकड़ या मिट्टी के कण पर परत दर परत जमा होती रही है, जिसे मदर ऑफ पर्ल कहते हैं। जब परत मोटी हो जाती है तो यह मोती का रूप ले लेती है।
एक मोती को बनने में कई साल लग सकते हैं। जितने ज्यादा समय तक मोती बनता रहता है, वह उतना ही बड़ा और कीमती होता जाता है।
दुनिया में 200 प्रकार की सीपें मौजूद हैं। सीपों के किस्मों के हिसाब से अलग-अलग रंग की मोती बनती है।