रतन टाटा न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक हैं। लेकिन यह काफी दिलचस्प है कि वह फोर्ब्स की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नहीं हैं।
फोर्ब्स की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट से रतन टाटा का नाम गायब है। लेकिन सवाल ये उठता है कि व्यापार और समाज सेवा में इतना बड़ा योगदान देने वाले इतने बड़े बिजनेसमैन रतन टाटा का नाम इस लिस्ट में क्यों नहीं नजर आता है?
रतन टाटा कई सालों तक नमक से लेकर हवाई जहाज तक का कारोबार करने वाले टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे हैं। टाटा ग्रुप की विशालता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसकी 29 कंपनियां बाजार में लिस्टेड हैं।
इन लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप ₹31.6 ट्रिलियन है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल आना लाजमी है कि कई सालों तक टाटा ग्रुप जैसे बड़े ग्रुप के चेयरमैन रहे रतन टाटा अमीरों की लिस्ट में कहीं नजर क्यों नहीं आते।
चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण। अमीरों की लिस्ट में शामिल न होने का सबसे बड़ा कारण रतन टाटा का समाज सेवा के प्रति समर्पण है। टाटा ग्रुप की मुख्य इन्वेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी टाटा संस है। इसका ज्यादातर मुनाफा टाटा ट्रस्ट को जाता है।
ट्रस्ट के पैसे का उपयोग अलग-अलग धर्मार्थ कार्यों के लिए किया जाता है। ये पहल मुख्य रूप से स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक प्रचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर फोकस करती है।
चूँकि टाटा संस कंपनी की कमाई का ज्यादातर हिस्सा रतन टाटा निजी फायदे के बजाय ट्रस्ट को देते हैं, इसलिए रतन टाटा की नेटवर्थ में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता।
यही वजह है कि रतन टाटा मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे अरबपतियों की लिस्ट में नहीं दिखते हैं। बता दें, रतन टाटा साल 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हट गए थे। वह 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे।