भारत में आम बजट (Union Budget) हर साल 1 फरवरी को संसद में पेश किया जाता है। 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का 8वां बजट पेश करने जा रही हैं। आमतौर पर बजट पेश करने की जिम्मेदारी देश के वित्त मंत्री की होती है, लेकिन भारतीय इतिहास में कुछ ऐसे प्रधानमंत्री भी रहे हैं, जिन्होंने खुद बजट पेश किया।
इनमें से कुछ ने प्रधानमंत्री रहते हुए यह कार्य किया, जबकि कुछ पहले वित्त मंत्री थे और बाद में प्रधानमंत्री बने। आइए जानते हैं उन 5 प्रधानमंत्रियों के बारे में, जिन्होंने भारत का आम बजट पेश किया।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने साल 1958 में केंद्रीय बजट पेश किया था। इसके पीछे एक दिलचस्प वजह थी—तत्कालीन वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णमाचारी का नाम मुंद्रा घोटाले में सामने आया, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
इस कारण वित्त मंत्रालय का कार्यभार खुद प्रधानमंत्री नेहरू ने संभाला और आम बजट पेश किया। यह भारतीय इतिहास में एक अनोखी घटना थी जब किसी प्रधानमंत्री ने बजट पढ़ा।
मोरारजी देसाई भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा 10 केंद्रीय बजट पेश करने वाले नेता हैं। वह पहले वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे और बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1959 से 1963 तक लगातार 5 बजट पेश किए।
इसके अलावा, उन्होंने 1967, 1968 और 1969 में भी केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया। मोरारजी देसाई ने 8 पूर्ण बजट और 2 अंतरिम बजट पेश किए। बाद में, वह 1977 से 1979 तक भारत के प्रधानमंत्री बने।
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी अपने कार्यकाल के दौरान 1970-71 का आम बजट पेश किया था। उस समय मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद इंदिरा गांधी ने स्वयं वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला बनीं, जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया। इसके बाद उन्होंने यशवंतराव चव्हाण को नया वित्त मंत्री नियुक्त किया।
इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी भी उन प्रधानमंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने बजट पेश किया। 1987 में तत्कालीन वित्त मंत्री वी.पी. सिंह को उनके पद से हटा दिया गया, जिसके बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।
उन्होंने 1987-88 का बजट प्रस्तुत किया और इस तरह नेहरू-गांधी परिवार के तीसरे सदस्य बने, जिन्होंने बजट पेश किया। यह घटना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, क्योंकि इस दौरान कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई थी।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 1991 के ऐतिहासिक बजट के लिए जाना जाता है। जब पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार बनी, तो उन्होंने 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
1991 में पेश किया गया बजट भारत की आर्थिक नीति में सबसे बड़े बदलावों में से एक था, जिसमें उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) यानी LPG Reforms की शुरुआत हुई। इसके बाद, 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व में UPA सरकार बनी, तो मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने और उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।