भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लेकर बड़ी घोषणा की है। अब ये बिना किसी परीक्षा के ही सुपरवाइजर बन सकेंगी। प्रदेश सरकार के सूचना, जन संपर्क और भाषा विभाग के अनुसार, सूबे में उन्हें सुपरवाइजर बनने के लिए किसी प्रकार की परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी। सेवा नियमों में परिवर्तन करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग विभागीय पदोन्नति का बंदोबस्त करेगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को इसके अलावा साल में मानदेय के साथ एक महीने की चिकित्सा संबंधी छुट्टी देने के लिए भी विभाग स्तर पर प्रक्रिया चलाई जाएगी। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि आंगनबाड़ी वर्कर्स हेल्पर्स यूनियन ने कई सारी मांगों पर सहमति बनने के बाद अपना आंदोलन वापस लेने पर रजामंजी जाहिर कर दी है।
दरअसल, गुरुवार (25 नवंबर, 2021) को सचिवालय में महिला और बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा से आंगनबाड़ी वर्कर्स हेल्पर्स यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य प्रधान कुंज भट्ट की अगुवाई में भेंट की। इस दौरान आंदोलन पर बातचीत हुई, जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस बीच पंचकूला में आंदोलन पर थीं। बताया जाता है कि डेढ़ घंटे चले मंथन में ढांडा ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भरोसा दिलाया कि उनके हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
पहले तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सुपरवाइजर बनने के लिए कर्मचारियों को आयोग की एक परीक्षा पास करनी पड़ती थी। नई व्यवस्था के तहत विभाग 50 फीसदी पद विभागीय पदोन्नति के जरिए भरने के लिए सेवा नियमों में बदलाव करेगा। बता दें कि आंगनबाड़ी सहायिका से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए 25 फीसदी पदोन्नति की व्यवस्था लागू की जा चुकी है।
आंगनबाड़ी देश में एक किस्म का ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र है। बच्चों की भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में उन्हें भारत सरकार द्वारा 1975 में शुरू किया गया था। आंगनबाड़ी का मतलब हिंदी में “आंगन आश्रय” है। एक आंगनबाड़ी केंद्र किसी गांव में बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है। यह भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का एक हिस्सा है। बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों में गर्भनिरोधक परामर्श और आपूर्ति, पोषण शिक्षा, पूरकता के साथ ही पूर्व-विद्यालय गतिविधियां हैं।