ग्रेच्युटी के लिए 30 दिन के भीतर करना होता है आवेदन, पात्रता के लिए ये जरूरी
ग्रेच्युटी वो रकम होती है जो कर्मचारी को एम्पलॉयर की तरफ से दी जाती है। मौजूदा नियमों में एक कर्मचारी को अधिकतम 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिल सकती है।

नौकरीपेशा लोगों के लिए ग्रेच्युटी का सीधा संबंध किसी कंपनी में उनके बिताए गए समय से है। एक कर्मचारी अगर किसी एक कंपनी में पांच साल काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है। कंपनी उसे ग्रेच्युटी ऑफर करती है। वहीं अगर कोई कर्मचारी एक कंपनी में पांच साल से कम काम करता है तो वह इसका हकदार नहीं होता।
यहां तक कि 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ने पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है। सरल शब्दों में ग्रेच्युटी वो रकम होती है जो कर्मचारी को एम्पलॉयर की तरफ से दी जाती है। मौजूदा नियमों में एक कर्मचारी को अधिकतम 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिल सकती है। ग्रेच्युटी की रकम उसके रिटायरमेंट या इस्तीफे पर दी जाती है या फिर उम्र विशेष होने के चलते जब वह जॉब छोड़ता है तब दी जाती है। ग्रेच्युटी के लिए 30 दिन के भीतर आवेदन करना होता है।
पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसको लेकर कुछ नियम और शर्तें निर्धारित हैं। कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के मकसद से ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट बनाया गया था, इन्हीं के आधार पर कंपनी और कर्मचारी काम करते हैं।
किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाने की स्थिति में ग्रेच्युटी की रकम उसकी नौकरी की कुल अवधि पर आधारित होती है, जो अधिकतम 20 लाख रुपये तक हो सकती है। आमतौर पर ग्रेच्युटी की रकम तब दी जाती है, जब कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या उसे नौकरी से हटाया जाता है या फिर वो रिटायर होता है।
अब सवाल यह है कि ग्रेच्युटी को कैसे कैलकुलेट कियाज जाता है? इसके लिए एक फॉर्मुला है जिसके मुताबिक 5 साल नौकरी करने के बाद अपनी सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले आखिरी माह के बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा करना होता है। इसके बाद जो रकम आती है उसे 26 से भाग दे दिया जाता है।
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