दिल्ली हाईकोर्ट ने एक घर से 107 लीटर बरामद हुई शराब के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि, अगर घर में 162 लीटर शराब भी मिलती तो ये अपराध की श्रेणी में नहीं आता। दरअसल दिल्ली आबकारी विभाग ने एक घर से शराब की 132 बोतल बरामद की थी। जिसमें दिल्ली निवासी अवजीत सलूजा के पास वैध शराब का लाइसेंस भी नहीं था।
ऐसे में दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 की धारा 33 के तहत मामला दर्ज किया गया। जिसमें याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जिस घर से शराब बरामद की गई थी वह 6 लोगों (25 वर्ष से अधिक आयु के सभी) का आवास है और इस प्रकार दिल्ली आबकारी नियम 2010 के नियम 20 (ए) के अनुसार बरामद मात्रा तय सीमा के भीतर है।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बताया कि 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति 9 लीटर देशी-विदेशी शराब, 18 लीटर बीयर रख सकता है। जबकि जिस घर से शराब की 132 बोतल बरामद हुई हैं वहां 25 वर्ष से अधिक आयु के 6 लोग रहते थे। जिनके पास से 51.8 लीटर व्हिस्की, रम, वोदका, जिन और 55.4 लीटर वाइन, बीयर, एल्कोपॉप बरामद हुई।
ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट क न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली निवासी अवजीत सलूजा के खिलाफ अवैध शराब के भंडारण के आरोप में दर्ज प्राथमिकता को रद्द करने का फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने मुकदमे को खारिज करते हुए तर्क दिया कि, याचिकाकर्ता के घर से 132 बोलतें शराब की बरामद हुई थीं। जिसमें 51.8 लीटर व्हिस्की और 55.4 लीटर बीयर बरामद हुई। जबकि उस घर में संयुक्त परिवार में 6 वयस्क सदस्य थे। इसलिए नियम के अनुसार दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 के नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इसलिए आवास से जब्त शराब की मात्रा अधिकतम सीमा से कम है इसलिए प्राथमिकता को रद्द किया जाता है।