BANK LOCKER लेना सस्ता नहीं, चाबी खो गई तो मोटा जुर्माना! जान लें फीस और दूसरी अहम डिटेल्स
BANK LOCKER: हम में से कई लोगों के मन में सवाल होगा कि बैंक लॉकर की सुविधा के लिए बैंक कितना चार्ज लेते हैं और अगर उस लॉकर की चाबी खो जाए तो फिर क्या होता है।

BANK LOCKER: कई लोग अपनी बेशकीमती चीजों जैसे हीरे, ज्वैलरी, प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स, वसीयत को बैंक लॉकर में रखना पसंद करते हैं। बैंक हमें लॉकर की सुविधा देने के लिए कुछ रकम चार्ज करते हैं और इसके बदले हमें चाबी दे दी जाती है। बैंक लॉकर लेना न तो सस्ता है और अगर चाबी खो जाए तो मोटा जुर्माना अलग से लगाया जाता है। हम में से कई लोगों के मन में सवाल होगा कि बैंक लॉकर की सुविधा के लिए बैंक कितना चार्ज लेते हैं और अगर उस लॉकर की चाबी खो जाए तो फिर क्या होता है। आज हम आपको बैंक लॉकर फीस और इससे जुड़ी दूसरी अहम डिटेल्स के बार में जानकारी दे रहे हैं। आइए जानते हैं बैंक लॉकर से जुड़ी कुछ बातें:-
चार्ज: बैंक में लॉकर को किराए पर लेना सस्ता नहीं। लॉकर का किराया उसके साइज और बैंक ब्रांच पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया छोटे साइज के लॉकर (125x175x492 सेमी) के लिए शहरी और मेट्रो क्षेत्र में 1,500 रुपए प्लस जीएसटी वसूलता है। वहीं ग्रामीण इलाकों के लिए यह राशि एसबीआई 1,000 रुपए प्लस जीएसटी है। वहीं एसबीआई एक्सट्रा लार्ज के लिए आपसे सालाना 9,000 रुपए प्लस जीएसटी वसूलता है। किराए के अलावा आपको वन टाइम रजिस्ट्रेशन चार्ज (साइज पर निर्भर) भी देना होता है। वहीं अगर आपने लॉकर का किराया देने में देरी की तो आप पर कुल वार्षिक किराए का 40 प्रतिशत जुर्माने के तौर पर वसूला जाएगा।
चाबी: प्रत्येक बैंक लॉकर की दो चाबी होती है लेकिन ग्राहक को सिर्फ एक ही दी जाती है। बैंक किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनजर अपने पास चाबी रखता है। अगर आप चाबी खो देते हैं तो बैंक आपको लॉकर की चाबी तो मुहैया करवाता है लेकिन आपको भारी जुर्माना भी देना होता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में बैंक 3,000 रुपए जिसमें सर्विस फीस, लॉकर को तोड़ने और नया लॉकर फिट करने की रकम भी शामिल है।
बैंक जिम्मेदार नहीं: 2017 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि लॉकर्स में रखे सामान के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं हैं। हालांकि, उन्हें लॉकर्स की सुरक्षा के लिए इंतजाम करने होते हैं। भूकंप या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा, आग लग जाने, आतंकी हमला या चोरी आदि होने पर मुआवजा मिलेगा, बैंक इसकी गांरटी नहीं देते। हालांकि अगर बैंक की लापरवाही के चलते कस्टमर का नुकसान हुआ है तो बैंकों को मुआवजा देना होता है। इसके लिए कस्टमर को बैंक का दोषी होना साबित करना होगा।