सातवें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को राहत के तौर पर हाउस रेंट अलाउंस दिया जाता है। ताकि वे आसानी से किराए के मकान का वहन कर सकें। लेकिन क्या आपको पता है कि केंद्रीय कर्मचारी अपनी पत्नी को किराए का भुगतान करके HRA लाभ का दावा कर सकते हैं। इसके लिए आपको बड़ी ही सावधानी पूर्वक काम करना होता है। इससे आप टैक्स बेनिफिट भी पा सकते हैं।
अपने पति या पत्नी के माध्यम से एचआरए का दावा करना आसान नहीं है और इस कारण यहां कुछ जरूरी तरीके बताए गए हैं, जिसको फॉलो कर आप हाउस रेंट अलाउंस का दावा कर सकते हैं।
कानूनी किराया समझौता
अगर आप पत्नी के लिए किराया का भुगतान कर रहे हैं तो आपको एक कानूनी किराया समझौता अपनी पत्नी के साथ किया जाना चाहिए। किराए की रसीद संभालकर रखनी चाहिए, क्योंकि एचआरए का दावा करने के लिए करदाता को फॉर्म 12बीबी के साथ रेंट एग्रीमेंट और रेंट रसीदें अपने नियोक्ता को जमा करनी होंगी। किराए की रसीद में किरायेदार का नाम, मकान मालिक का नाम, किराए की राशि, भुगतान की तारीख, किराये की अवधि, घर का पता, मकान मालिक के हस्ताक्षर, मकान मालिक का पैन और राजस्व स्टाम्प आदि होना चाहिए। साथ ही किराए की रकम 5000 रुपये से अधिक हो।
पति न हो घर का मालिक
यह भी जरूरी है कि घर आंशिक रूप से पति के स्वामित्व में नहीं होना चाहिए। यह पत्नी के नाम पर ही कानूनी तौर पर हो, तभी एचआरए के एिल क्लेम किया जा सकता है।
पत्नी की आय
वहीं आईटीआर के लिए दावा करते वक्त पत्नी के आय का भी जिक्र किया जाना चाहिए। भले ही पत्नी की आय मूल छूट की सीमा से कम ही क्यों न हो। फिर उसे आईटीआर भरना चाहिए।
पत्नी का आय श्रोत
पत्नी के आय श्रोत का भी जिक्र किया जाना चाहिए, क्योंकि यह बताया जा सके कि एचआरए के लिए क्लेम करना टैक्स बेनिफिट के लिए नहीं है। आय का जिक्र करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि दावा करना वास्तविक है। इसके अलावा देयता को अपनी टैक्स रिटर्न की जानकारी भी देनी चाहिए।