जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन की गिरफ्तारी पर सियासी घमासान मच गया है। दरअसल, रोहित ने अपने शो में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक वीडियो को गलत संदर्भ में दिखाया था, इसी मामले में छत्तीसगढ़ में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 5 जुलाई को जब रायपुर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची तो गाजियाबाद पुलिस से नोकझोंक हो गई। इसी बीच नोए़डा पुलिस रोहित रंजन को गिरफ्तार कर अपने साथ ले आई और बाद में जमानत मिल गई।
दावा किया जा रहा है कि नोएडा पुलिस ने रोहित रंजन की गिरफ्तारी उन्हीं के संस्थान जी न्यूज की एक शिकायत के आधार पर की। सोशल मीडिया पर इस मामले पर तमाम लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपने शो में भी इस मसले को उठाया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में जी न्यूज की मंशा पर भी सवाल खड़े किये।
रवीश ने लिखा, ‘यह बात जगज़ाहिर है कि ज़ी न्यूज़ ने ही नोएडा पुलिस से शिकायत की थी कि वह इस मामले में जांच करे और कानूनी कार्रवाई करे। एक तरफ जी न्यूज़ की शिकायत पर उसके एंकर को गिरफ्तार किया जाता है, दूसरी जी न्यूज के DNA में हैशटैग चल रहा है, ‘आय सपोर्ट रोहित रंजन‘। जब रोहित को सपोर्ट ही करना था, तब थाने में शिकायत क्यों कराई?’
उन्होंने आगे लिखा, ‘ज़ी न्यूज़ ने पुलिस से जो शिकायत की है, उसमें रोहित रंजन का नाम नहीं है। सीनियर प्रोड्यूसर नरेंद्र सिंह और प्रशिक्षु प्रोड्यूसर बिकास कुमार झा का नाम है। बिकास तो ट्रेनी प्रोड्यूसर हैं यानी नौकरी में नए आए हैं। बताइये आते ही निकाल दिए गए, वह किस कदर तनाव में होगा। मैं नहीं जानता कि बिकास किस प्रवृत्ति का पत्रकार है लेकिन है तो इंसान ही। उसकी चिन्ता हो रही है।’ मेरी राय में जब जी न्यूज़ और रोहित रंजन ने प्रमुखता से माफी मांग ली, तब यह मामला ख़त्म मान लिया जाना चाहिए। कांग्रेस को भी गिरफ्तारी पर ज़ोर नहीं देना चाहिए। लेकिन क्या यही राय रोहित रंजन, मोहम्मद ज़ुबैर के लिए लिख सकते हैं?
रवीश कुमार की इस टिप्पणी पर तमाम यूजर्स अपनी प्रतिक्रिया देने लगे और रोहित रंजन की गिरफ्तारी पर टिप्पणी में भी एजेंडा सेट करने का आरोप लगाया। किरण नाम की यूजर ने लिखा, ‘तुमने भी जो लोया के बारे मे गलत प्राइम टाइम करके अमित शाह के बारे में गलत फैलाया, उस हिसाब से तो तुम्हें भी जेल होनी चाहिए।’ मुकुंद नाम के यूजर ने लिखा, ‘आप ज़ी न्यूज़ देखते हैं, यह जानकर आपके लिए दुखी हूं।’ सौरव पाठक ने पूछा, ‘अरे सर, उदयपुर कांड के बारे में कुछ बोले नहीं आप। खबर मिली या कुछ और परेशानी है?’ सुनील तिवारी ने तंज कसा, ‘मिर्ची काफी तेज थी, असर पूरा दिख रहा है।’
मनोज कुमार सिंह नाम के यूजर ने खिंचाई करते हुए लिखा, ‘बकवास रवीश जी, आप एडवोकेट बन जाते हैं और बात जलेबी की तरह घुमाते हैं।’ मोनू कौशिक ने सवाल किया, ‘वैसे आपके हिसाह से क्या ये लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला माना जाएगा या नहीं?’ कुमार नितीश ने टिप्पणी की, ‘वैसे एनडीटीवी भी कई बार गलत खबर के लिए माफी मांग चुका है, लेकिन कभी सरकार ने रवीश को गिरफ्तार नहीं करना चाहा।’
जय ममगेन ने लिखा, ‘सुनो रवीश पांडे जी, आप भी निष्पक्ष और मासूम होने की नौटंकी बंद कीजिए, आपका भी एक पाठक वर्ग है, जिनकी संतुष्टि के लिए सुबह शाम झूठ और अफवाहें फैलाते हैं।’ नरेंद्र शर्मा ने लिखा, ‘अगर रोहित रंजन की गिरफ्तारी से वाकई तकलीफ है तो स्क्रीन काली करनी चाहिए थे, या खास मौकों पर ही करते हैं?’
सुनीत राजेश्वर नाम के यूजर ने लिखा, ‘हे उदारमना! रवीश भाई, धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाला व्यक्ति और वह भी पत्रकार? कैसे माफ किया जा सकता है? सैम सक्सेना ने लिखा, ‘भाजपा की टॉप लीडरशिप की पोल खुलने से बचा ली गई, छत्तीसगढ़ जाता तो सब उगल देता’। गोपाल खंडेलवाल ने लिखा, ‘थाने में शिकायत छत्तीसगढ़ पुलिस से बचाने के लिए कराई गयी थी।’ विकास गुप्ता ने लिखा, ‘ए रोहित भइया… हई देखा कुछ कहत बावन तहरा बारे में’।
और पत्रकारों ने क्या कहा? रोहित की गिरफ्तारी पर एंकर सुशांत सिन्हा ने लिखा, ‘जिस पार्टी के नेता कोर्ट में जाकर माफी मांगते हों उस पार्टी के नए नवेली ज़िम्मेदारी संभाले वीरों को लगता है कि एंकर का अगले ही दिन माफी मांगना काफी नहीं। ऐसे सीटें न बढ़ने वाली बॉस। उल्टे जनता को और यकीन हो जाएगा कि इमरजेंसी से अब तक आपकी सोच पत्रकारों को जेल में डालनेवाली ही है।’
अजीत अंजुम ने लिखा, ‘Zee News हमेशा मोदी के पक्ष में एजेंडा चलाता है, मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलता है, विपक्ष के ख़िलाफ़ अनाप शनाप बोलता है। फिर भी मुझे लगता है कि दो बार चैनल पर माफ़ी मांगने के बाद ये तरीका ठीक नहीं। अगर मुक़दमा भी हुआ तो भी सादी वर्दी में आकर बिना सम्मन के यूं धर-पकड़ ठीक नहीं।