यूपी चुनाव में धर्म, जाति और मंदिर-मस्जिद की बात ना हो, ऐसा होना असंभव लगता है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं की जुबान पर जिन्ना, पाकिस्तान, शमशान, कब्रिस्तान, हिन्दू-मुसलमान और भगवान का नाम आने लगा है। विरोधी दल बीजेपी पर हमेशा धर्म पर राजनीति करने का आरोप लगाता है खासकर राम मंदिर को लेकर। पिछले दिनों स्मृति ईरानी ने भी राम मंदिर को लेकर बयान दिया था और अब वे लोगों के निशाने पर हैं।
राम मंदिर के नाम पर मांगा वोट: दरअसल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पश्चिमी यूपी के बागपत की छपरौली में एक जनसभा करने पहुंची थीं। जहां उन्होंने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा शासन में राम भक्तों पर गोलियां चली थी। मैं उस हर रामभक्त के लिए वोट मांगने आई हूं, जिसकी मौत सपा सरकार में हुई थी। स्मृति इरानी अब अपने इसी बयान को लेकर लोगों के निशाने पर हैं।
पूर्व आईएएस ने कसा तंज: स्मृति ईरानी के बयान पर पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि बेरोजगारी,महंगाई, किसानों की मौतें, कोरोना में लाशों की ढ़ेर पर बात नहीं करेंगी,मैडम? योगी सरकार की लाठी से उधड़ी बेरोजगार युवाओं की चमड़ी से आपको क्या वास्ता? राम के नाम को कब तक भुनायेंगी? इसके साथ ही उन्होंने चुनाव से शिकायत करते हुए कहा कि हेलो, चुनाव आयोग क्या ये आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?
RJD उत्तर प्रदेश के ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट से लिखा गया कि वो लाखों रामभक्त जो ईलाज के अभाव में मर गए, जिन्हें रामनामी चादर ओढ़ा कर गंगा में बहने के लिए ढोंगी सरकार ने छोड़ दिया, क्या स्मृति जुबैन ईरानी उनके लिए वोट मागेंगी? क्या जुबैन ईरानी राम भक्त है?
आम लोगों ने भी कसा स्मृति ईरानी पर तंज: दिनेश चौहान नाम के यूजर ने लिखा कि जो कोविड में रामनाम की चादर में गंगा किनारे मरे पड़े थे उन रामभक्तों के लिए, हाथरस और उन्नाव जैसी घटनाओं के लिए, 700 किसानों की शहादत और लखीमपुर नरसंहार के लिए कब वोट मागोगी! रेखा नाम की यूजर ने लिखा कि मैडम को न कुचले गए किसान याद हैं, न नौकरी के लिए लाठी खाते युवा, न ऑक्सीजन के लिए मरते हुए लोग। गजब की रामभक्ति है ये।
गोपीनाथ वर्मा ने लिखा कि हिन्दू -मुस्लिम,मंदिर -मस्जिद से हटकर भी बात करो मैडम आज उत्तर प्रदेश में रावण राज कायम है। दलितों पिछड़ों गरीबों और महिलाओं का भाजपा के गुंडे जीना मुश्किल कर दिए। कब तक हिंदू मुस्लिम मंदिर-मस्जिद के नाम पर दंगा करवाओगी? युवाओं, किसानों ,पिछड़ों, दलितों और महिलाओं की बात कब करोगी?