बिहार के वरिष्ठ IAS अधिकारी केके पाठक का डिप्टी कलेक्टर को गाली देने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया। मुख्यमंत्री जांच की बात कह रहे हैं, उपमुख्यमंत्री इसे ना बर्दाश्त करने लायक बता रहे हैं। विवाद चल ही रहा था कि केके पाठक का एक और वीडियो सामने आ गया है, जिसमें वह अधिकारियों पर गालियों और अपशब्दों की बौछार कर रहे हैं।
सीनियर आईएएस का गाली देने का वीडियो वायरल
मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव और विभाग के महानिदेशक केके पाठक अधिकारियों पर भड़कते हुए अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। वो कह रहे हैं कि सब निकम्मे हैं। बिना मां-बहन पीए किसी को अकल नहीं आती है। हटाओ साले सभी कॉपरेटिव को हम खुद से सब कुछ बाटेंगे। इसके आगे वह कहते हैं कि सब साले सर सर सर सर.. करते रहते हैं कि सर करेंगे, सर करेंगे, सर करेंगे साले सभी तो यहां पर सब सर ही हैं.. बिहार में आम आदमी कौन है।
“उल्लू का …, इडियट, गधा…सब के सब निकम्मे हैं गधे हैं।”
इसी दौरान केके पाठक किसी अधिकारी पर भड़कते हुए कहते हैं कि उल्लू का …, इडियट, गधा…सब के सब निकम्मे हैं गधे हैं। रोहतास के अधिकारी के लिए कहते हैं कि कहां मर गया रोहतास? बिक्रमगंज के अधिकारी से कह रहे हैं कि जो कोऑपरेटिव का बंदर बैठा हुआ है, उसको ले जाकर टेकओवर करो। सोशल मीडिया पर केके पाठक का यह वीडियो वायरल हो रहा है।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं
@TrilokiNathCha8 यूजर ने लिखा कि ये हैं बिहार के सख्त और ईमानदार IAS अधिकारी केके पाठक, बात-बात पर गाली देना इनकी कमजोरी है। @riskyravikm यूजर ने लिखा कि बताओ, इतनी सख्ती दिखाने के बाद भी बिहार में भ्रष्टाचारी अफसर सुधर नहीं रहे, अब बाबू लोग तो चाहेंगे ही कि केके पाठक से जैसे तैसे छुटकारा मिले। @Biharyouth1 यूजर ने लिखा कि निक्कमों को निक्कमा बोला तो हंगामा काहे मचा है? किसको नहीं पता है कि बिहार सरकार में नौकरी करने वाले अधिकतर, क्लर्क से लेकर अफसर केवल घूस खाने के लिए नौकरी करते हैं।
@yogendrathore यूजर ने लिखा कि ये अधिकारी एक दम सही बोल रहा है, अधिकतर पदों पर बैठे लोग काम नहीं करना चाहते। @Vinodku90433918 यूजर ने लिखा कि इन्हें तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए। @RKSINGH_MEDIA यूजर ने लिखा कि पाठक जी के गुस्से को एक आम बिहारी के चश्मे से देखना चाहिए, सेकंड लाईन के ऑफिसरों में एक कामकाजी वर्क कल्चर का बिल्कुल अभाव है। एक यूजर ने लिखा कि कोई असभ्य इंसान कभी किसी सभ्य बदलाव का वाहक नहीं हो सकता। इस असभ्य अधिकारी को सज़ा के साथ साथ मानसिक उपचार की ज़रूरत है। जल्द मिले तो बेहतर है।