‘सोचिए अगर अर्णब गोस्वामी की जगह मैं होता..’, चैट लीक पर रवीश कुमार ने पूछा सवाल, आ रहे ऐसे रिएक्शन्स
Arnab Goswami पर Ravish Kumar का यह फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है। हजारों लोग इसपर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। कई यूजर्स रवीश कुमार को ही ट्रोल कर रहे हैं तो तमाम य़ूजर्स रवीश की बातों से सहमत भी हैं।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी (Arnab Goswami) और BARC के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता (Partho Dasgupta) की बीच की कथित व्हाट्सएप (WhatsApp) चैट्स वायरल हो रहे हैं। इस चैट के कई हिस्सों को लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि जो चैट्स वायरल हो रहे हैं ये पार्थो दासगुप्ता के TRP स्कैम मामले में दायर की गई सप्लीमेंटरी चार्जशीट का हिस्सा हैं। पार्थो दासगुप्ता को TRP स्कैम मामले में पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था।
एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने अर्णब के इस लीक चैट पर अपनी टिप्पणी दी है। रवीश कुमार ने कहा है कि सोचिए अगर अर्णब गोस्वामी की जगह वो होते तो क्या होता। बकौल रवीश कुमार सरकार में बैठे लोग हमेशा अर्णब के समर्थन में रहे हैं। अब भी हैं लेकिन कुछ बोल नहीं रहे हैं। वहीं रवीश कुमार ने ये भी कहा है कि 99.999 प्रतिशत मीडिया गोदी मीडिया हो चुका है। सारे चैनल वहीं करते हैं जो अर्णब ने किया है, इसीलिए वो सारे चुप हैं।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि, ‘आप किससे उम्मीद कर रहे हैं? भारत का 99.999 प्रतिशत मीडिया गोदी मीडिया है। यह एक परिवार की तरह काम करता है। इस परिवार के संरक्षक का नाम आप जानते हैं। इस परिवार में सारे एंकर और चैनलों के मालिक अर्णब ही हैं। नाम सबके अलग हैं मगर काम अर्णब का ही है। तो कोई कैसे अपने अर्णब होने के ख़िलाफ़ अर्णब की पोल खोल दे।
अर्णब सिर्फ़ एक न्यूज़ एंकर नहीं है। वह एक समाज है। अर्णब के झूठ को देखने और दिन रात गटकने वाला समाज अर्णब बन चुका है। उस समाज की सोच में अर्णब और अर्णब के संरक्षक के फ़र्क़ की सीमा रेख मिट चुकी है। उसके लिए संरक्षक ही अर्णब है और अर्णब ही संरक्षक है।
अगर मेरे बारे में ऐसी कोई सूचना होती तो अर्णब सहित सारे अर्णब इस पर घटों अभियान चला रहे हो। सारे मंत्री पुलिस के साथ मेरे घर आ गए होते। सूचना प्रसारण मंत्रालय की अफ़सर नोटिस जारी कर रही होतीं। क्योंकि मैं अर्णब नहीं हूँ। अगर मैं अर्णब होता तो सब चुप रहते। आई टी सेल चुप रहता। और सबसे बड़ी बात समाज का बड़ा तबका मेरे साथ खड़ा रहता। मेरी एक बात याद रखिएगा। भारत की सामाजिकता की बुनियाद में नैतिकता है ही नहीं। आगे कहने की ज़रूरत नहीं है
याद है न आपको अर्णब के लिए कैसे सारे मंत्री आ जाते थे। बीजेपी के सारे प्रवक्ता आ जाते थे। बोलने और अर्णब को बचाने। सारी सरकार खड़ी हो जाती थी। इस बार भी सब उसके साथ खड़े हैं। बस फ़र्क़ ये है कि बोल नहीं रहे हैं। ज़रूरी भी नहीं कि हर बार बोल कर साथ दिया जाए।‘
रवीश कुमार का यह फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है। हजारों लोग इसपर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। कई यूजर्स रवीश कुमार को ही ट्रोल कर रहे हैं तो तमाम य़ूजर्स रवीश की बातों से सहमत भी हैं। ऐसे यूजर्स लिख रहे हैं कि लोग अपना दिमाग गिरवी रख चुके हैं। मानसिक कुपोषण हो चुका है। लेकिन हमें अपना काम करते रहना है। लोगों को बताते रहना है भले ही उनके कान में जूं तक न रेंगे। कुछ अन्य़ यूजर्स ने लिखा- खेल नया नहीं बस खिलाड़ी बदले हैं। एक समय तुम्हारा दबदबा था आज किसी और का है।