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दौड़ में सबसे आगे था पहाड़ सिंह, रुका और सो गया; जागा तो हाथ से जा चुकी थी नौकरी

वनरक्षक की दौड़ में पहाड़ सिंह सबसे आगे था लेकिन आराम करने के लिए रुका तो उसे नींद आ गई! जागा तो नौकरी हाथ से जा चुकी थी।

MP II Khnadwa I Pahad Singh
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो सोर्स- इंडियन एक्सप्रेस)

मध्य प्रदेश की एक घटना के बाद “कछुए और खरगोश’ की कहानी लोगों के दिमाग में ताजा हो गई। जिसमें तेजी से दौड़कर कर लक्ष्य की तरफ बढ़ते खरगोश ने कछुए को बहुत पीछे देख, आराम करने चक्कर में हार का सामना किया था। अब ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के खंडवा से सामने आया है, जहां वनरक्षक की दौड़ में एक युवक सबसे आगे निकल गया लेकिन आराम करने के चक्कर में वो फेल हो गया।

दौड़ में सबसे आगे था पहाड़ सिंह लेकिन…

28 मार्च को मध्य प्रदेश में वनरक्षक भर्ती के फिजिकल टेस्ट में 61 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें 9 लड़कियां और 52 लड़के शामिल थे। सभी को 4 घंटे में 24 किमी की दौड़ पूरी करनी थी। इस दौड़ में  ग्वालियर जिले के डबरा शहर का रहने वाला 21 साल का युवक पहाड़ सिंह सबसे आगे था। पहाड़ सिंह ने 3 घंटे में 21 किमी की दूरी तय कर ली, पीछे मुड़कर देखा तो कोई भी नहीं देखा। इसके बाद उसने थोड़ा आराम करने के लिए सड़क के किनारे खड़े डम्पर की छांव चला गया।

नौकरी से हाथ धो बैठा युवक

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दौड़ पूरी होने के बाद जब परीक्षार्थियों की गिनती शुरू हुई तो एक परीक्षार्थी कम पाया गया। इसके बाद वन विभाग के अधिकारी गायब हुए एक युवक को खोजने निकल पड़े। तब पहाड़ सिंह डम्पर की छांव में सोते हुआ मिला। ऐसे में 61 परीक्षार्थियों में 60 ने फिटनेस के इस टेस्ट को पास कर लिया जबकि पहाड़ सिंह थोड़े से आराम के चक्कर में इस परीक्षा से फेल में हो गया और अब लोग घटना को ‘कछुए और खरगोश’ के बीच हुई रेस की कहानी से जोड़ रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, पहाड़ सिंह ने बताया कि जब उसने पीछे मुड़कर देखा, कोई नहीं दिखा तो थकान और पैर में छाले के कारण थोड़ा आराम करने के लिए डम्पर की छाँव में बैठ गया। इसके बाद उसकी आंख लग गई और जब आंख खुली तो वह फिटनेस टेस्ट से फेल हो चुका था। सोशल मीडिया पर लोग इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

एक यूजर ने लिखा कि मुझे पहाड़ सिंह की कहानी सुनकर समझ नहीं आ रहा है कि मैं हसूं या फिर दुःख जताऊं? चन्द्रशेखर नाम के यूजर ने लिखा कि हिंदी शिक्षण जब से हो रहा है “खरगोश व कछुए की कहानी” बच्चों को पढ़ाई जाती रही है पर इस बंदे ने वनरक्षक भर्ती में उस कहानी का प्रैक्टिकल करके सच साबित कर दिया कि कहानियां यूं ही नहीं बनती, उनका कथानक सच भी होता है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि कहानियां हमें सीख के लिए पढ़ाई जाती हैं, उन्हें सीरियस ना लेने वालों के साथ ऐसा ही हो सकता है।

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First published on: 29-03-2023 at 18:39 IST
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