देश के जाने माने लेखक और गीतकार जावेद अख्तर अक्सर अपने बयानों और टिप्पणी को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। साल 2021 में उन्होंने आरएसएस को लेकर एक बयान दिया था, जिसको लेकर मानहानि का केस दायर किया गया था। इसी मामले में अब जावेद अख्तर फंसते नजर आ रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि जावेद अख्तर के बयान से आरएसएस की मानहानि हुई है। इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग इस टिप्पणी कर रहे हैं।
क्या है मामला?
एक इंटरव्यू के दौरान जावेद अख्तर ने आरएसएस और तालिबान का जिक्र किया था। आरोप है कि इस इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से की थी। इस मामले को लेकर मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। अब अदालत ने कहा है कि उनके शब्दों की अहमियत है ऐसे में उन्हें उनके द्वारा आरएसएस को लेकर कहे गए शब्द से आरएसएस (संघ) की मानहानि हुई है।
यूजर्स की प्रतिक्रियाएं
नितेश शर्मा नाम के यूजर ने लिखा कि लेकिन अब तालिबान की अफग़ानिस्तान में अधिकारिक रूप से सरकार है और भारत सरकार के तालिबानी सरकार से व्यापारिक रिश्ते हैं। भारत सरकार ने तालिबान सरकार की मान्यता दी हुई है। क्या आरएसएस ने भारत सरकार के तालिबान से रिश्ते की आलोचना की है? @raunakbasishth यूजर ने लिखा कि देशद्रोह वाला काम नहीं किया तो मानहानि वाला चल पड़ा है। अब सभी को इसी से निपटाया जायेगा।
@ChhayaThakurInc यूजर ने लिखा कि संघ और भाजपा के मान को कुछ ज्यादा ही हानि नहीं पहुंच रही है? एक अन्य यूजर ने लिखा कि हमारे देश में इस वक्त मानहानि का मौसम चल रहा है। @iamSayedibrahim यूजर ने लिखा कि यही जावेद अख्तर साहब हैं जिन्होंने ना सिर्फ़ अभी हाल में ही पाकिस्तान में बैठ कर कट्टरपंथियों को उनकी जुबान में जवाब ही दिया है बल्कि अपनी कलम से भारतीय संस्कृति को बचाने और फलने फूलने में अहम योगदान भी दिया है, इनको टारगेट करना अक्लमंदी नहीं है।
बता दें कि जावेद अख्तर के वकील ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने किसी बात पर अपने विचार व्यक्त किए हैं और यह विचार मानहानि का अपराध नहीं बनता है। वहीं शिकायत में कहा गया था कि जावेद अख्तर राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर नागपुर मुख्यालय वाले संगठन आरएसएस का नाम घसीट रहे हैं। वह सुनियोजित तरह से आरएसएस को बदनाम कर रहे हैं। अदालत ने जावेद अख्तर को नोटिस जारी किया था।