पंजाब विधानसभा चुनाव में 20 फरवरी को मतदान होने वाला है। आप की तरफ से भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजंक अरविंद केजरीवाल ने जब से भगवंत मान के नाम का एलान किया है, तब से ही विरोधी दल के नेता भगवंत मान के पुराने वीडियो और बयानों को शेयर कर तंज कस रहे है।
“कहीं ये गाड़ी ठोक तो नहीं देगा”: पंजाब में ‘आप’ द्वारा सीएम चेहरा घोषित किए जाने पर न्यूज 24 चैनल के डिबेट में शामिल हुई कांग्रेस प्रवक्ता ने भी भगवंत मान पर तंज कसा है। डिबेट में शामिल कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा कि पंजाब में सरहद की सुरक्षा, अंतरिक सुरक्षा, नशा, खेत, खलिहान और भी बड़े-बड़े मुद्दे हैं। पंजाब, अपनी स्टेयरिंग ऐसे किसी के हाथ में नहीं द दे सकता कि साथ वाली सीट पर बैठा बंदा डरा रहे। कहीं ये गाड़ी ठोक तो नहीं देगा, कोई एक्सीडेंट तो नहीं करा देगा या फिर मंजिल पर पहुंचेगा या नहीं।
सीएम चन्नी पर बोलीं कांग्रेस प्रवक्ता: इसके बाद एंकर संदीप चौधरी ने कहा कि पर इतने सारे चेहरे भी नहीं चाहिए न कि बस में ड्राइवर की सीट पर पांच आदमी एक के ऊपर एक बैठे रहे और कहें कि स्टेयरिंग मेरे हाथ में होना चाहिए। इसके जवाब में अलका लांबा कहती है कि आज की तारिख में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी 111 दिन के कामों पर सिर्फ पंजाब में नहीं, बल्कि पूरे देश में उनकी चर्चा हुई और सुर्खियां बटोरीं। पर ये तो सच्चाई है कि पंजाब के इतिहास में पहला दलित मुख्यमंत्री बना।
‘मैं पार्टी का वफादार सिपाही’: वहीं जब एक इंटरव्यू के दौरान भगवंत मान से सवाल पूछा गया कि पार्टी पर अच्छा खासा दबाव बनाना पड़ा, मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के लिए? इसके जवाब में भगवंत मान ने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं है। पार्टी का मैं वफादार सिपाही हूं। पार्टी से जो भी दायित्व मिला, मैने उसे निभाया है। चाहे वो लोकसभा चुनाव की बात हो या फिर पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष एक रूप में। भगवंत मान ने कहा कि मैं पंजाब की जनता पर मुख्यमंत्री के तौर पर थोपा नहीं जा रहा हूं। पंजाब की पसंद से मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया गया हूं।
कौन हैं भगवंत मान?: 48 साल के भगवंत मान पंजाब के संगरूर से लोकसभा सांसद हैं। भगवंत कॉलेज ड्रॉपआउट करने के बाद स्टैंडअप कॉमेडी में भी अपनी पहचान बनाई, फिर 2011 में वह राजनीति में आए। सबसे पहले उन्होंने मनप्रीत सिंह बादल की पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब ज्वाइन की। हालांकि इसके एक साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में वे हार गए। अब लगातार तो दो बार से आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे हैं।