टिकटॉक के ये हैं वो 8 फीचर्स जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप
ज्यादातर यूजर टिकटॉक के बेसिक फीचर्स के बारे में तो जानते होंगे लेकिन कई ऐसे फीचर्स भी हैं जिनके बारे में आप में से कई यूजर नहीं जानते होंगे।

टिकटॉक के पास लाखों यूजर्स हैं जो हर दिन वीडियो क्रिएट और शेयर करते हैं। कई ऐसे यूजर भी हैं जिन्होंने Lockdown में प्लेटफॉर्म ज्वाइन किया है, ज्यादातर यूजर एप के बेसिक फीचर्स के बारे में तो जानते होंगे लेकिन कई ऐसे फीचर्स भी हैं जिनके बारे में आप में से कई यूजर नहीं जानते होंगे। आइए आपको एप के ऐसे ही 8 फीचर्स की जानकारी देते हैं जिनके बारे में आप शायद हीं जानते हैं।
जानें, टिकटॉक फीचर्स के बारे में
1) Screen time management: यूजर को स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट फीचर मिलता है, इस फीचर की मदद से एक तय समय सीमा के बाद भी अगर यूजर एप का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उन्हें फिर से पासवर्ड डालना होगा क्योंकि यह फीचर पासवर्ड प्रोटेक्टेड है।
2) Restricted mode: यह एक कस्टमाइज़्ड मोड है जिसे प्लेटफॉर्म पर नाबालिगों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह एक ऑप्शनल अकाउंट सेटिंग है, इस फीचर के ऐनेबल होते ही नाबालिगों के देखने के लिए जो कंटेंट उपयुक्त नहीं है वह उन्हें दिखाई नहीं देगा।
बता दें कि यह फीचर भी पासवर्ड प्रोटेक्टेड है (30 दिनों के लिए वैध) और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पर काम करता है। अगर यूजर अनफिल्टर्ड कंटेंट देखना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पासवर्ड डालना होगा।
3) Age gate: केवल 13 वर्ष या उससे अधिक आयु के यूजर को ही लॉग-इन करने और प्लेटफॉर्म पर अकाउंट क्रिएट करने की अनुमति देता है। यह फीचर इस बात को सुनिश्चित करता है कि कम उम्र के यूजर प्लेटफॉर्म का उपयोग न करें।
4) Risk warning tag: यह टैग खासतौर से उन वीडियो में जोड़ा जाता है जिनमें रिस्क होता है या जो सभी यूजर के देखने के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
5) Comment filter feature: यह फीचर यूजर को कमेंट सेक्शन से हिंदी और अंग्रेजी में सेल्फ-डिफाइन वर्ड करने की अनुमति देता है। यूजर किसी भी समय इस लिस्ट को बदल सकते हैं।
6) Family Pairing: यह इन-ऐप फीचर जो टिकटॉक अकाउंट को लिंक और अनलिंक करता है और फीचर ऐनेबल होने के बाद माता-पिता अपने बच्चों के अकाउंट की सेफ्टी और प्राइवेसी सेटिंग्स को सेट कर सकते हैं। साथ ही माता-पिता डिजिटल वेलबींग (Digital Wellbeing) फीचर्स जैसे कि स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट आदि को कंट्रोल कर सकेंगे।
7) In-app reporting: एप के भीतर रिपोर्ट करने का भी फीचर दिया गया है। इस फीचर की मदद से यूजर ऑब्जेक्शनेबल कंटेंट के बारे में रिपोर्ट कर सकते हैं।
8) In-app suicide prevention: इस फीचर में यूजर को इन-ऐप सुसाइड रिसोर्स पेज़ पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है जिसमें टिप्स मिलते हैं और यूजर की समस्या को सुलझाने के लिए की कॉन्टैक्ट प्रदान करता है।
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