सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने मंगलवार देर रात घोषणा की कि चेहरा पहचानने वाली प्रणाली को बंद करेगा। बता दें कि कंपनी फेस रिकग्निशन सिस्टम को 2010 में वापस पेश किया था। इसके लेकर फेसबुक की तरफ से जानकारी दी गई कि इस प्रणाली को बंद करने साथ वह एक अरब से भी अधिक लोगों के फेसप्रिंट को डिलीट करेगा।
बता दें कि मंगलवार को फेसबुक की नयी होल्डिंग कंपनी ‘मेटा’ में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट के उप प्रमुख जेरोम पेसेंटी ने एक ब्लॉग के जरिए जानकारी दी, ‘‘टेक्नोलॉजी के इतिहास में चेहरा पहचानने के उपयोग की दिशा में यह कदम सबसे बड़ा बदलाव होगा।’’ ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि फेसबुक पर सक्रिय यूजर्स में से एक तिहाई से अधिक लोगों ने इस सर्विस की सेटिंग को स्वीकारा और वह पहचान करने में सफल भी रहे हैं।
गौरतलब है कि इस फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का काम फेसबुक पर अपलोड की जाने वाली तस्वीरों की पहचान कर यूजर्स को बताना था। जिससे फोटो में मौजूद लोगों को टैग किया जा सके। हालांकि अब इसे कंपनी द्वारा बंद किया जा रहा है।
पेसेंटी ने अपने ब्लॉग लिखा है, “जिन लोगों ने फेस रिकग्निशन सेटिंग का विकल्प चुना है, वे अब फ़ोटो और वीडियो में अपने आप पहचाने नहीं जाएंगे। अब फेसबुक उनकी पहचान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले चेहरे की पहचान वाले टेम्पलेट को मिटा देगा।
दरअसल इस टेक्नोलॉजी की वजह से पिछले कुछ सालों में फेसबुक ने कई कानूनी कार्रवाई का सामना किया है। इस फैसले को लेकर पेसेंटी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया, “इस तकनीक के चलते यूजर्स में कई चिंताएं हैं, और इसके स्पष्ट उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियम अभी प्रक्रिया में हैं। ऐसे में इस अनिश्चितता के बीच, हमारा मानना है कि इस तकनीक के उपयोग को सीमित करना उचित है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक इस साल दिसंबर तक इसे तकनीक को हटाने की योजना में है। लेकिन साथ ही यह भी जानकारी है कि कंपनी डीपफेस को खत्म नहीं करेगी।
बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक की होल्डिंग कंपनी का नाम अब मेटा के रूप में रीब्रांड किया गया है। दरअसल पिछले कुछ समय से लगातार खबरें आ रही थीं कि फेसबुक री-ब्रांडिंग करने वाला है। फिलहाल फेसबुक की तरफ से साफ किया गया है कि इस बदलाव में वह अपने कॉर्पोरेट ढांचे को नहीं बदलेगा।