प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को देश में 5G नेटवर्क लॉन्च किया था। टेलिकॉम कंपनियां Reliance Jio, Airtel देश के कुछ शहरों में 5G रोल आउट भी कर चुकी हैं। और अगले 1 से 2 साल के अंदर पूरे देश में 5जी नेटवर्क उपलब्ध कराने का वादा सरकार ने किया है। लेकिन देश में 5G लॉन्च होने के साथ ही साइबर फ्रॉड को लोगों से ठगी करने का नया तरीका भी मिल गया है।
Check Point Software की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, अब स्कैमर वोडाफोन, एयरटेल या जियो के कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव बनकर लोगों को मदद ऑफर कर रहे हैं ताकि लोग अपने 4G सिम को 5G सिम पर अपग्रेड कर सकें।
फिशिंग का नया तरीका है 4G to 5G SIM upgrade
फिशिंग के इस नए मामले में ये फ्रॉड ग्राहकों को फिशिंग लिंक भेजते हैं जिसके लिए ग्राहकों को अपनी पर्सनल और सेंसिटिव (निजी और गोपनीय) जानकारी जैसे बैंक पासवर्ड या ओटीपी की जरूरत होती है। इसके जरिए उनके अकाउंट से पैसे का सफाया कर लिया जाता है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले मुंबई पुलिस ने अपने फॉलोअर्स को इस स्कैम के बारे में जानकारी दी थी। फ्रॉड के इस नए तरीके में ये स्कैमर्स ग्राहकं से 5G सिम अपग्रेड करने के नाम पर पैसे की डिमांड कर रहे हैं।
गौर करने वाली बात है कि कंपनियां 5G नेटवर्क के लिए कोई नया सिम कार्ड ऑफर नहीं कर रही हैं और मौजूदा 4G सिम कार्ड पर ही 5G ऑफर किया जा रहा है। आपको 5G कनेक्टिविटी के लिए कोई भी सिम बदलने की जरूरत नहीं होती।
बता दें कि स्मार्टफोन कंपनियां जैसे सैमसंग, ऐप्पल, गूगल अपने स्मार्टफोन में 5G सॉफ्टवेयर अपडेट देंगी, तभी फोन में 5जी सपोर्ट मिलेगा।
इसी तरह पुणे, हैदराबाद और गुरुग्राम पुलिस के ट्विटर अकाउंट से भी ऐसे ही ट्वीट्स को शेयर किया गया है। देशभर के अधिकारियों ने नागरिकों से अपनी पर्सनल या बैंकिंग डिटेल किसी के भी साथ शेयर ना करने की अपील की है। इसके अलावा टेलिमार्केटर्स के साथ कोई OTP शेयर ना करने को भी कहा है, ऐसा करने से लोगों की मेहनत का पैसा इन फ्रॉड के हाथों में जा सकता है।
देश में लगातार साइबर फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं। चेक पॉइन्ट सॉफ्टवेयर का सुझाव है कि यूजर्स को मजबूत पासवर्ड रखने चाहिए। इसके अलावा अतिरिक्त सिक्योरिटी के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अपनाना चाहिए। लेटेस्ट सिक्योरिटी पैच के साथ अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट रखना चाहिए ताकि फिशिंग जैसी घटनाएं ना हों।
चेक पॉइन्ट की थ्रे इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में पता चला है कि भारतीय कंपनियां पिछले छह महीनों के दौरान हर हफ्ते 1742 बार साइबर अटैक का शिकार हुईं। जबकि दुनियाभर में यह आंकड़ा 1167 अटैक हर हफ्ते था।