मानस मनोहर
साबूदाने की खीर
साबूदाना सेहत के लिए उत्तम आहार है। यह पचने में भी सुगम होता है और स्वाद में तो अच्छा होता ही है। व्रत-उपवास के समय अलग-अलग तरीके से साबूदाना खाया जाता है। मगर इसकी खीर सबसे अलग होती है। इसकी खीर बनाना है भी बहुत आसान। बहुत तैयारी करने की जरूरत नहीं होती। फिर व्रत के दौरान ही क्यों, कभी भी, जब मीठा बनाना हो, तो साबूदाने की खीर एक बेहतर विकल्प है। इसे बच्चे भी बड़े मन से खाते हैं, मेहमानों को भी परोसा जा सकता है।
साबूदाने की खीर बनाने के लिए बहुत तैयारी करने की जरूरत नहीं होती। बस, साबूदाने को दो-तीन घंटे के लिए भिगो कर रखना पड़ता है। जब भी साबूदाने की खीर बनानी हो, तो दो-तीन घंटे पहले एक कटोरी साबूदाने को अच्छी तरह धोने के बाद एक कटोरी पानी में भिगो कर रख दें। दो घंटे बाद साबूदाना पानी को सोख कर फूल जाएगा। ध्यान रखें कि साबूदाने का अच्छी तरह फूल कर नरम होना जरूरी है, तभी खाने में इसका स्वाद अच्छा आएगा। इसके साथ ही आधा कटोरी दूध में केसर के आठ-दस दाने भिगो कर रख दें। इस तरह केसर का रंग अच्छी तरह उतर आता है। कुछ लोग खीर में छोटी इलाइची पसंद करते हैं। चाहें तो एक छोटी इलाइची कूट कर अलग रख लें।
अब भगोने में चार कटोरी या एक लीटर दूध गरम करें। दूध में उबाल आ जाए, तो उसमें भिगोए हुए साबूदाने डालें और मध्यम आंच पर चलाते हुए पकाएं। थोड़ी-थोड़ी देर में चलाना इसलिए जरूरी होता है ताकि साबूदाने आपस में चिपकने न पाएं। दस मिनट तक पकाने के बाद साबूदाने पारदर्शी हो जाएंगे। अब इसमें आधा कप चीनी, भिगोया हुआ केसर और कुटी हुई इलाइची डालें और दूध के गाढ़ा होने तक पकाएं। इसमें दस मिनट का समय और लगेगा।
तब तक इसमें डालने के लिए मेवे काट कर तैयार कर लें। इसमें कुछ काजू और बादाम कुतर कर डालें तो स्वाद बहुत अच्छा आता है। आप अपनी इच्छा के अनुसार मेवे ले सकते हैं। उन्हें बारीक कुतर लें। जब खीर पक कर गाढ़ी हो जाए तो उसमें मेवे डालें और मिला कर ढक्कन लगा दें। साबूदाने की खीर तैयार है। परोसते समय इसके ऊपर से भी कुछ कटे मेवे डाल कर सजा सकते हैं।
यह खीर बनाते वक्त आप अपनी मर्जी से कुछ चीजों को छोड़ भी सकते हैं। जैसे, जिन्हें छोटी इलाइची नहीं पसंद है, वे इसे छोड़ सकते हैं। इसे व्रत में खाना हो, तो खाएं या फिर मेहमानों को खिलाएं। नवमी के दिन प्रसाद रूप में आमतौर पर सूजी का हलवा बांटा जाता है, मगर मतलब तो मीठा खिलाने से है, आप हलवे की जगह साबूदाने की खीर भी बांट सकते हैं।
पेठे का हलवा
पेठा यानी सफेद कद्दू। वही कद्दू, जिससे पेठा मिठाई बनती है। पेठा स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है, उन्हें सुबह पेठा खाने या पेठे का रस पीने को कहा जाता है। मगर शहरी खानपान में पेठे को लगभग भुला दिया गया है। हालांकि अब लोग सेहत को लेकर कुछ सतर्क देखे जाने लगे हैं, इसलिए पेठे का रस पीने लगे हैं। इसे सब्जी के रूप में खाने लगे हैं। पेठा आजकल हर जगह मिलने लगा है। महानगरों में भी। पेठा एक ऐसी सब्जी है, जिसे उगाने के लिए दूसरी सब्जियों की तरह बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती। यह गांव-मुहल्लों में किसी भी जगह उग आता है और आमतौर पर पेड़ों पर चढ़ कर फैल जाता है और इसके खूब फल पैदा होते हैं। यों बहुत सारे किसान इसकी खेती भी करते हैं। आमतौर पर इसका उपयोग पेठा मिठाई बनाने के लिए किया जाता है।
मगर पेठे का हलवा भी बहुत स्वादिष्ट बनता है। जब पेठा सेहत के लिए इतना गुणकारी है, तो फिर घर में क्यों न इसका उपयोग करें। इसका हलवा बनाना भी बहुत आसान है। इसके लिए बहुत तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ती। एक किलो पेठा लें, उसका छिलका और बीज वाला हिस्सा निकाल कर बाहर कर दें।अब पानी से धोकर साफ करें और मोटे कद्दूकस पर घिस ले। इसे बनाने में सारी मेहनत बस इतनी है। इसके अलावा इसमें डालने के लिए कुछ मेवे तल कर अलग रख लें।
अब कड़ाही में दो से तीन खाने के चम्मच बराबर देसी घी गरम करें। उसमें सबसे पहले काजू, बादाम और कुछ किशमिश के दाने तल कर बाहर निकाल लें। अब उसी कड़ाही में कद्दूकस किया हुआ पेठा डालें और मध्यम आंच पर चलाते हुए पांच से सात मिनट तक पकाएं। पेठे के रेशे पारदर्शी दिखने लगेंगे। इसी समय आधा कप चीनी डालें और पांच मिनट तक चलाते हुए पकने दें। इसमें पानी डालने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि पेठे के पानी से ही चीनी घुल-मिल जाती है।
हलवा तैयार है। अब इसमें तल कर रखे मेवे को दरदरा कूट या काट कर डालें और अच्छी तरह मिला लें। अगर आपको इलाइची पसंद हो तो एक या दो छोटी इलाइची के दाने कूट कर डाल सकते हैं। अगर चाहें तो केसर के कुछ दाने भी डाल सकते हैं। कुछ लोगों को खाने का रंग डालना पसंद होता है, अगर चाहें तो एक बूंद खाने का हरा रंग भी डाल सकते हैं।
आप अपनी पसंद से प्रयोग कर सकते हैं। अगर हलवा न खाना चाहें, तो इसी को थोड़ा और पका कर मिश्रण को गाढ़ा कर लें और एक थाली या चपटी सतह पर इसकी परत बिछा कर बर्फी भी काट सकते हैं। जैसे भी खाना पसंद हो, पेठा बना कर जरूर खाएं, यह स्वाद के लिए तो अच्छा है ही, पाचन-तंत्र को दुरुस्त रखने में भी बहुत मदद करता है। व्रत के दिनों में इससे अच्छा विकल्प क्या हो सकता है।