हरीभरी सिवइयां
सिवइयां आमतौर पर मीठी खाई जाती हैं। ईद पर तो सिवइयां खास व्यंजन के तौर पर परोसी जाती हैं। मगर ये बहुत अच्छा अल्पाहार होती हैं। बहुत सारे लोग इसलिए सिवइयां खाना पसंद नहीं करते कि वे मैदे से बनती हैं, मगर अब तो बाजार में आटे की सिवइयां भी मिलती हैं। गांवों में महिलाएं हाथ से आटे की सिवइयां बनाती हैं। कई स्वयंसेवी संस्थाएं ऐसी सिवइयां बाजार में उपलब्ध कराती हैं। इस तरह हाथ की बनी आटे की सिवइयां भी बाजार में मिल जाती हैं। नमकीन सिवइयों का स्वाद लाजवाब होता है। इन्हें नाश्ते के रूप में या हल्की-फुल्की भूख मिटाने के लिए खाया जा सकता है। आजकल तो बड़े होटलों और रेस्तरां में भी नमकीन सिवइयां अल्पाहार के रूप में परोसी जाती हैं।
नमकीन सिवइयां खाने का फायदा यह होता है कि इसमें हम अपनी पसंद की खूब सारी हरी सब्जियां मिला सकते हैं। तो फिर सिवइयों से परहेज क्यों। बच्चे तो वैसे भी नूडल्स ज्यादा पसंद करते हैं, उन्हें अगर सिवइयां परोसी जाएं, तो उन्हें नूडल्स से अलग कुछ पौष्टिक खाने की आदत विकसित होगी। नमकीन सिवइयां बनाना है भी बहुत आसान। अगर बच्चे स्कूल से आएं या खेल कर और कुछ खाने की मांग करें, तो नूडल्स की जगह सिवइयां बना कर पेश की जा सकती हैं।
बाजार में आमतौर पर सिवइयां दो प्रकार की मिलती हैं। एक, बिना सिंकी और दूसरी सिंकी हुई। अगर सिंकी हुई सिवइयां ले रहे हैं, तो सेंकने की झंझट से मुक्ति मिल जाती है। अगर कच्ची सिवइयां ली हैं, तो सबसे पहले उन्हें आधा चम्मच घी में चलाते हुए सेंक लें और निकाल कर अलग रख दें। फिर इसमें डालने के लिए कुछ सब्जियां काटें। एक मध्यम आकार के प्याज को मोटा-मोटा काट लें। इसके अलावा ब्रोकली, मुट्ठी भर हरी मटर के दाने, आधा गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। चार-छह पालक के पत्ते भी साफ करके काट सकते हैं। इसके अलावा जो भी हरी सब्जियां आपको पसंद हों, ले सकते हैं। इस तरह सिवइयां देखने में हरीभरी लगती और खाने में स्वादिष्ट हो जाती हैं।
जिस कड़ाही में सिवइयां सेंकी थीं, उसी में एक चम्मच घी गरम करें। चुटकी भर जीरा तड़काएं और फिर पहले प्याज को छौंकें और दो मिनट तक चलाते हुए पकाएं, फिर बाकी सब्जियों को छौंक कर तेज आंच पर दो से तीन मिनट तक चलाते हुए पकाएं। इसी समय जरूरत भर का नमक मिला दें, ताकि सब्जियों में नमक अच्छी तरह मिल जाए और सब्जियों का हरापन भी बरकरार रहे। दो से तीन मिनट बाद सिंकी हुई सिवइयां डालें और सब्जियों के साथ एक बार मिलाने के बाद उसमें पानी डालें।
अगर बच्चों के लिए बना रहे हैं, तो उसमें भुना मैगी मसाला डाल सकते हैं। पानी इतना ही डालें कि सिवइयों को ढंक ले। ध्यान रखें कि कुछ पानी सब्जियां भी छोड़ेंगी। ज्यादा पानी डालने से सिवइयां चिपचिपी होकर स्वाद खराब करेंगी। पकने के बाद सिवइयां आपस में चिपकी हुई नहीं होनी चाहिए। पानी डालने के बाद कड़ाही पर ढक्कन लगा दें और आंच मध्यम करके पांच से सात मिनट तक पकने दें। जब पूरा पानी सूख जाए, तो आंच बंद कर दें। हरीभरी सिवइयां तैयार हैं। इन्हें बच्चों को तो दे ही सकते हैं, खुद भी नाश्ते के रूप में खा सकते हैं।
मूंगदाल सादा
मूंगदाल सबसे सुपाच्य और प्रोटीन से भरपूर भोजन है। इसका स्वाद भी अन्य दालों से बिल्कुल अलग होता है। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या रहती है, उनके लिए मूंग की दाल उत्तम आहार है। मगर कई लोगों की शिकायत रहती है कि मूंग की दाल पकाते समय पूरी तरह गल जाती है, इसलिए उसे खाने में आनंद नहीं आता। ध्यान रखें कि मूंग की दाल को पकाना भी एक कला है। आजकल जल्दी भोजन पकाने के चक्कर में लोग हर चीज कुकर में डाल देते हैं। मगर कुकर मूंग की दाल के लिए सही बर्तन नहीं है। मूंग की दाल को कड़ाही में धीमी आंच पर पकाएं, फिर देखें इसका स्वाद।
मूंग की दाल सबसे कम समय में पक जाती है। इसकी प्रकृति कोमल होती है। इसे पकाने से पहले अच्छी तरह धोकर आधे घंटे के लिए भिगो कर रख दें। इस बीच इसमें छौंक लगाने की तैयारी कर लें। एक मध्यम आकार का प्याज, एक हरी मिर्च, छोटा टुकड़ा अदरक और पांच-सात लहसुन की कलियां साफ करके बारीक-बारीक काट लें। अगर टमाटर पसंद करते हैं, तो एक मध्यम आकार का टमाटर भी बारीक-बारीक काट लें।
अब कड़ाही में एक चम्मच घी गरम करें। उसमें जीरा, अजवाइन और हींग का तड़का तैयार करें। पहले अदरक, लहसुन और हरी मिर्च छौंकें। एक मिनट चलाते हुए पकाएं और फिर प्याज छौंक दें। दो मिनट चलाते हुए पकाएं, फिर कटे हुए टमाटर डालें और जरूरत भर का नमक, हल्दी पाउडर, आधा चम्मच गरम मसाला और चौथाई चम्मच कुटी लाल मिर्च डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
जब टमाटर-प्याज पक कर घी छोड़ने लगें, तो उसमें भिगोई हुई मूंग की दाल डालें और आंच मध्यम से भी कम कर दें। कड़ाही पर ढक्कन लगा कर पंद्रह मिनट के लिए पकने दें। पंद्रह मिनट बाद ढक्कन खोल कर देखें। मूंगदाल के दाने नरम होकर फट गए होंगे। बस, आंच बंद कर दें। मूंग की दाल तैयार है। अब इसमें अलग से तड़का लगाने की जरूरत भी नहीं है। इसे रोटी या चावल के साथ का सकते हैं। कई जगह पूड़ी के साथ भी परोसी जाती है।