मानस मनोहर
इस मौसम में कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें अनिवार्य रूप से खाना चाहिए, क्योंकि उनमें भरपूर औषधीय गुण होते हैं। इस बार चर्चा करते हैं, ऐसे ही पारंपरिक व्यंजनों की।
गोभी मंचूरियन
मंचूरियन यों तो चीन का लोकप्रिय व्यंजन है, पर अब भारत में भी खूब पसंद किया जाता है। हर छोटे-बड़े शहर के रेस्तरां आदि में परोसा जाने लगा है। शादी-ब्याह के मौके पर भी इसे बनाया जाता है। मंचूरियन दोनों रूपों में बनाया जाता है- तरीदार और सूखा। सूखा मंचूरियन आमतौर पर नाश्ते के तौर पर परोसा जाता है, जैसे पकौड़ा परोसा जाता है। तरीदार मंचूरियन नूडल्स और चावल आदि के साथ खाया जाता है। बच्चे और युवा इसे खूब पसंद करते हैं। इसलिए अगर घर में मंचूरियन बनाएं, तो पारंपरिक भोजन को लेकर नखरे दिखाने वाले बच्चे भी इसे बड़े चाव से खाएंगे।
यों तो मंचूरियन के पकौड़े पत्तागोभी और गाजर से बनाए जाते हैं, मगर फूलगोभी के मंचूरियन बनाएं, तो उसका जायका थोड़ा अलग होता है। फूलगोभी का मंचूरियन उसी तरह बनता है, जैसे फूलगोभी के पकौड़े बनते हैं। इसमें अंतर केवल इतना है कि पकौड़े बेसन से बनते हैं और मंचूरियन मैदे से।
इसलिए फूलगोभी को धोकर उसके अलग-अलग टुकड़े कर लें और फिर एक बार और अच्छी तरह धोकर इनका पानी पूरी तरह सुखा लें। गोभी के इन टुकड़ों को एक बड़े कटोरे में रखें और इनके ऊपर आधा छोटा चम्मच नमक, आधा छोटा चम्मच कुटी लाल मिर्च, सात-आठ कुटी काली मिर्च डालें और अच्छी तरह मिलाने के बाद ढंक कर रख दें। हम सूखा मंचूरियन बनाने जा रहे हैं।
इसके लिए एक कप मैदा लें और उसमें आधा छोटा चम्मच नमक, कुटी लाल मिर्च डालें और थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए गाढ़ा घोल तैयार करें। कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें। इसके लिए रिफाइंड तेल का उपयोग ठीक रहता है। मैदे का स्वाद रिफाइंड में और बेसन का सरसों तेल में अच्छा लगता है।
तेल गरम हो जाए तो आंच को मध्यम कर दें और गोभी के एक-एक टुकड़े मैदे के घोल में डुबाते हुए तेल में डालते जाएं। इन्हें सुनहरा रंग आने तक तलें। इस तरह ऊपर की परत कुरकुरी हो जाएगी और गोभी भी अच्छी तरह पक जाएगी।
अब इसका मसाला तैयार करने के लिए एक छोटी कटोरी टमाटर सास लें। दो हरी मिर्चें बीच से लंबा चीर लें, एक या दो हरे प्याज की पत्तियां काट सें। चाहें तो एक सूखा प्याज भी बड़े टुकड़ों में काट कर ले सकते हैं। अगर लहसुन-अदरक का पेस्ट है, तो उसका इस्तेमाल कर सकते हैं, नहीं तो सात-आठ लहसुन की कलियां और एक से डेढ़ इंच अदरक कूट कर पेस्ट बना लें।
सात-आठ काली मिर्च कूट कर अलग रख लें। कड़ाही में एक चम्मच तेल गरम करें। उसमें जीरा और राई का तड़का दें और फिर लहसुन-अदरक का पेस्ट और सब्जियों को पहले डालें और तेज आंच पर चलाते हुए दो मिनट पकाएं। इसमें आधा चम्मच नमक डालें और फिर टमाटर सास डाल दें। एक बार चलाने के बाद गोभी के तले हुए मंचूरियन डालें और कुटी हुई काली मिर्च डाल कर अच्छी तरह मिलाएं ताकि सारा मसाला गोभी के मंचूरियन पर चिपक जाए। गोभी का मंचूरियन तैयार है। गरमा-गरम परोसें।
दाल बथुआ
बथुआ बिल्कुल देसी साग है। इसकी खेती नहीं होती, अपने आप इस मौसम में खेतों में उग आता है। किसान के लिए यह अनुपयोगी खर-पतवार की तरह है, इसलिए इसे उखाड़ना ही पड़ता है। मगर इसमें अद्भुत औषधीय गुण होता है। दूसरे तमाम सागों से अलग इसका स्वाद तो निराला होता ही है। यह खून साफ करने में मदद करता है।
जिन लोगों को पाचन संबंधी शिकायत रहती है, उन्हें तो अवश्य बथुआ खाना चाहिए। आजकल हर कहीं बाजार में बथुआ मिल जाता है। आमतौर पर बथुआ दो प्रकार का होता है। एक गहरे हरे रंग का और दूसरा ललछौंह रंग का। ललछौंह रंग का बथुआ मिल जाए, तो उसका स्वाद अच्छा होता है। यों हरे रंग वाला बथुआ भी बुरा नहीं होता। बथुए की पत्तियों को डंठल से अलग करके तीन-चार बार अच्छी तरह धोकर साफ कर लें। पानी निथर जाए तो काट लें।
बथुए को कई प्रकार से बनाया और खाया जाता है। कई लोग इसका साग बनाते हैं। लहसुन और साबुत सूखी लाल मिर्च के तड़के में इसे छौंक कर बना लेते हैं। इसका परांठा भी लाजवाब बनता है। कई लोग इसका रायता बनाते हैं।
मगर दाल के साथ बथुए की जोड़ी कुछ अलग ही जायका देती है। दाल बथुआ बनाने के लिए आप कोई भी पीली दाल ले सकते हैं। अरहर, मूंग, चना कोई भी दाल ले लें। दाल को जैसे आमतौर पर पकाते हैं, वैसे ही पका लें। ध्यान रखें कि दाल को ज्यादा न गलाएं, उसके दाने केवल नरम होकर फट जाएं, तो स्वाद अच्छा आता है। पाचन की दृष्टि से भी दाल को पूरी तरह गला कर नहीं खाना चाहिए। अब कड़ाही में दो चम्मच घी डालें और उसमें दो चुटकी जीरा, एक सूखी लाल मिर्च, सात-आठ लहसुन की बारीक कटी कलियां डाल कर तड़का तैयार करें। उसमें कटा हुआ बथुआ छौंक दें।
चुटकी भर नमक डालें और एक बार चला कर कड़ाही पर ढक्कन लगा दें। आंच मध्यम कर दें। दो से तीन मिनट में बथुआ पानी छोड़ना शुरू कर देगा। उसे पांच से छह मिनट तक पकने दें। फिर उसमें पकी हुई दाल डाल दें और ऊपर से आधा छोटा चम्मच गरम मसाला डालें और एक बार अच्छी तरह चलाने के बाद ढक्कन लगा दें।
पांच मिनट और पकने दें। फिर आंच बंद कर दें। दाल तैयार है। इसके ऊपर जीरा और साबुत लाल मिर्च का तड़का तैयार कर डालें और गरमागरम परोसें। कई लोग इसमें प्याज-टमाटर का तड़का भी देते हैं, मगर उसकी जरूरत नहीं होती। इससे बथुए का स्वाद ठीक से नहीं आ पाता। बथुए के साथ लहसुन का मेल ही अच्छा रहता है।