आजकल जिस तरह कामकाजी व्यस्तता के कारण लोग लंबे समय तक बैठ कर कंप्यूटर, लैपटाप पर काम करते हैं, घंटों मोबाइल फोन पर चित्र देखते, संदेश लिखते या फिल्म वगैरह देखते हैं, उससे गर्दन में दर्द की समस्या बढ़ने लगी है। हालांकि यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ पैदा होती है, मगर अब तो किशोरों और युवाओं में भी यह तकलीफ देखी जाने लगी है।
गर्दन के दर्द को चिकित्सीय भाषा में ‘सर्वाइकल पेन’ कहते हैं। यह मुख्य रूप से गर्दन का ही दर्द है, मगर लंबे समय तक इसे नजरअंदाज किया जाता है और इसकी स्थिति गंभीर हो जाती है तो यह कंधे से होता हुआ पूरे हाथ तक पहुंच जाता है। यह अंगुलियों तक भी पहुंच सकता है और कंधे से नीचे कमर तक के क्षेत्र को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। इस दर्द के कारण इतनी तेज चुभन होती है मानो नसों में बिजलीट दौड़ गई हो।
कभी-कभी इस स्थिति को गठिया या गर्दन का पुराना आस्टियो आर्थराइटिस कहा जाता है। यह आमतौर पर बढ़ती उम्र की वजह से होता है, मगर आजकल जीवन में बढ़ती निष्क्रियता और एक जगह बैठ कर घंटों काम करने की वजह से यह दर्द युवाओं को भी परेशान करने लगा है।
इसके मुख्य लक्षण हैं-
गर्दन में जकड़न, गर्दन में सूजन और दर्द, गर्दन की मांसपेशियों में दर्द, गर्दन घुमाते समय दर्द के साथ एक आवाज होना, चक्कर आना, सिर दर्द होना, लगातार जी मिचलाना, हाथ-पैर में अक्सर झुनझुनी महसूस होना या सुन्नपन होना, कंधों को हिलाने पर दर्द होना, लिखने या टाइप करने में दिक्कत, आदि।
कारण
जब हम कंप्यूटर, लैपटाप या मोबाइल फोन पर देर तक काम करते या कुछ देखते हैं, तो हम भूल जाते हैं कि हमारी गर्दन पर कितना बोझ पड़ रहा है। दरअसल, इस तरह काम करते हुए हम सिर झुका कर बैठते हैं। हमारे सिर का वजन पांच से सात किलो तो होता ही है। उतना वजन हमारी गर्दन पर लगातार पड़ता है। इस वजह से हमारी गर्दन की हड्डी में फासला बन जाता है, जो दर्द का मुख्य कारण बनता है। इसके अलावा, ज्यादा देर तक एक ही मुद्रा में बैठना, गलत मुद्रा में सोना, ऊंचे या बड़े तकिए का इस्तेमाल करना, शारीरिक तनाव, किसी नस पर अधिक दबाव पड़ना, रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ना आदि इसके कारण हो सकते हैं।
उपचार
गर्दन के दर्द यानी ‘सर्वाइकल पेन’ का कोई ऐसा पुख्ता इलाज नहीं है, जिसे एक बार कराने के बाद आपको यह समस्या कभी न हो। अगर यह बढ़ती उम्र के साथ हुआ है तो दवाओं के जरिए इसका इलाज किया जाता है। अगर यह जीवन-शैली के कारण, देर तक बैठ कर काम करने के कारण हुआ है तो शुरू में दवाओं के जरिए इसका उपचार कराने के बाद आपको अपने बैठने के ढंग में बदलाव, काम के बीच में विराम लेने की सलाह और नियमित रूप से व्यायाम, सैर, दौड़ने, रस्सी कूदने की सलाह दी जाती है।
अगर आप गर्दन के दर्द से परेशान हैं, तो दर्द वाली जगह पर बर्फ से सिंकाई करें, राहत मिलेगी। दिन में तीन-चार बार बर्फ की सिंकाई करने से आपको इस दर्द से आराम मिल सकता है। अक्सर बढ़ते तनाव की वजह से गर्दन और पीठ का दर्द होने लगता है। ऐसे में अगर आप भी लगातार इस दर्द को महसूस कर रहे हैं, तो इसके अपने शरीर को आराम दें। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तनाव को कम करने की कोशिश करें। इसके लिए मालिश करा सकते हैं, उससे दर्द से राहत मिलेगी। कोशिश करें कि आप लगातार एक ही जगह न बैठें और न ही कोई भारी वस्तु उठाएं।
मांसपेशियों को मजबूत बनाने और ‘सर्वाइकल पेन’ से छुटकारा पाने के लिए व्यायाम सबसे उत्तम उपाय है। इससे आपके शरीर को कसावट मिलेगी और दर्द से राहत भी। किसी प्रशिक्षित व्यक्ति से इसके आसन सीखें और रोज करें। इसमें फिजियोथेरेपी की मदद भी ले सकते हैं।
अपनी मर्जी से दर्द निवारक खाकर इस दर्द को कम करने का प्रयास न करें। इससे दर्द में कुछ समय की राहत जरूर मिल सकती है, लेकिन किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। डाक्टर की देखरेख में ही इसका इलाज करें। आयुर्वेद में भी गर्दन दर्द का इलाज है। इसमें जड़ी-बूटियों की मदद से शरीर से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है। कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनकी मदद से गर्दन के दर्द का इलाज किया जाता है। दर्द दूर करने के लिए अदरक, मेथी, अश्वगंधा, गुग्गुल, हल्दी और नीलगिरी आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए किसी वैद्य की सलाह लेनी चाहिए।
गर्दन का दर्द दूर करने के लिए एक कप पानी में एक चम्मच कूटा हुआ अदरक मिलाएंं। पांच से सात मिनट तक पानी को उबालें और काली मिर्च डाल कर चाय बनाएं। इसका सेवन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करें। इससे दर्द में राहत मिलेगी।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)