प्रसन्न तो हर कोई रहना चाहता है। हर कोई सुखी होना चाहता है। मगर हकीकत यह है कि हमारे आसपास ज्यादातर लोग उदासी से घिरे देखे जाते हैं। हममें से बहुतों को उदासी ने घेर रखा है। चेहरे पर प्रसन्नता नहीं। जिसे देखो मुंह लटकाए, दूसरों से कटा-कटा घूम रहा है। घर में उदास बैठा है।उदासी, उदासीनता अपने आप में एक गंभीर बीमारी है और हजार बीमारियों को जन्म भी देती है। अच्छे-खासे आदमी को उदासी घेर ले, तो उसे अनेक जटिल बीमारियों की गिरफ्त में ढकेल देती है। उदासी कोई जानबूझ कर नहीं चुनता। उदासी कब आदमी को जकड़ लेती है, वह समझ ही नहीं पाता। फिर बहुत सारे लोग उससे बाहर निकल ही नहीं पाते।
मगर उदासी आती कहां से है। उदासी दरअसल, मन के नकारात्मक भावों से पैदा होती है। आज की जिंदगी में इतनी उलझनें बढ़ गई हैं, महात्त्वाकांक्षाएं इतनी अधिक और ऊंची हैं कि हर वक्त तनाव पैदा करती रहती हैं। इसी के चलते महानगरीय जिंदगी में उदासी एक जटिल समस्या बन चुकी है। इसके निदान के लिए मनोचिकित्सकों के पास भीड़ देखी जाने लगी है।
उदासी के लिए कोई उम्र नहीं होती। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक इसकी जकड़ में फंसे दिख जाते हैं। मगर इससे पार पाना कठिन नहीं। कुछ सावधनी बरतें, तो उदासी से दूर और प्रसन्नता के पास पहुंच सकते हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और कामकाज को लेकर परेशान रहना एक समय पर तनाव का रूप ले लेता है। कई बार यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से कोई भी दिमागी तौर पर बीमार हो सकता है।
तनाव के कारण शरीर में कई तरह के हार्मोन का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। लगातार तनाव के कारण अवसाद की स्थिति बनती है। अवसाद ही उदासी का जनक है। अवसाद एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, मगर इसके लक्षणों से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। आइए जानते हैं कि अवसाद के शरीर पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं, जिसकी वजह से हम आसानी से अवसाद की स्थिति में पहुंच जाते हैं।
नींद की कमी
अक्सर तनाव में होने के कारण धीरे-धीरे लोगों की नींद कम होती जाती है यानी नींद न आने की परेशानी होने लगती है। अगर आपको लंबे समय तक नींद नहीं आती या रातों को नींद न आए, तो समझ लें कि यह अवसाद की निशानी हो सकती है। अगर आपको अकसर मन में खालीपन और उदासी महसूस हो, तो इसे अनदेखा न करें।
इसके साथ ही अगर खुद से नफरत होने लगे, लगने लगे कि दुनिया में आपको कोई अहमियत नहीं देता है, तो समझ जाइए आप अवसाद का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में अपने आप को इस बीमारी से बाहर लाने के लिए वर्जिश और योग का सहारा लेना चाहिए। इससे तनाव कम करने में मदद मिलती है।
दिमागी तनाव से छुटकारा
अवसाद मन की बीमारी है। अगर आपको किसी काम में मन न लगे तो समझ जाएं कि यह अवसाद का लक्षण है। सबसे मुख्य लक्षण यही है कि व्यक्ति हर समय परेशान रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता। यह कोई सामान्य उदासी नहीं होती, इसमें किसी भी काम या चीज में मन नहीं लगता, कोई रुचि नहीं होती, किसी बात से कोई खुशी नहीं होती, यहां तक कि गम का भी अहसास नहीं होता। हमेशा नकारात्मक खयाल आते रहते हैं।
इससे समझ लेना चाहिए कि अवसाद धीरे-धीरे आपके दिमाग को प्रभावित करने लगा है। इसके कारण व्यक्ति हर समय नकारात्मक सोचता रहता है। जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को हर चीज खराब लगने लगती है। आपने कई बार ऐसे लोगों को देखा होगा, जो अपने जीवन की चीजों से परेशान रहने के बाद खुदकुशी तक की सोचने लगते हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अपने जीवन से हार जाते हैं। अगर किसी को बार-बार अपना जीवन खत्म करने का खयाल आए और लगे कि अब मेरे जीवित रहने का कोई कारण नहीं है, तो यह संकेत है कि वह गंभीर अवसाद का शिकार है।
बचाव
अवसाद से बचने का सबसे आसान और कारगर तरीका है कि इसके लिए वर्जिश और योग का सहारा लिया जाए। रोजाना नियमित रूप से कसरत करें, इससे काफी हद तक अवसाद जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। ज्यादातर लोग इसलिए अवसादग्रस्त हो जाते हैं कि वे अपने जीवन में कुछ भी करने में विफल महसूस करने लगते हैं। कई तनाव इतने गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं कि उससे अवसाद की समस्या पैदा हो जाती है। अगर ऐसी स्थिति आती है, तो आपको चाहिए कि अपनी परेशानियां अपने किसी नजदीकी शख्स को बताएं और उनसे सलाह लें। तनाव बढ़ते देख और इन लक्षणों से आप अवसाद को पहचान सकते और तुरंत डाक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)