वीर सिंह
खगोलविदों ने हाल ही में तेरह सौ प्रकाश वर्ष दूर ओरियन नेबुला की विस्तृत छवियां जारी की हैं। इससे पहले ग्रीष्म ऋतु में उन्होंने ‘वाइट ड्वार्फ’ सितारों और अब तक देखी गई सबसे दूर की आकाशगंगा की खोज की। ओरियन नेबुला रात के आकाश में सबसे चमकीली निहारिकाओं में से एक है।सूर्य से दो हजार गुना अधिक द्रव्यमान वाले ओरियन नेबुला का सबसे अधिक अध्ययन किया गया है, जो हमारी जिज्ञासा को उत्तेजित करता रहता है। नेबुला के सघन अध्ययन से पता चला है कि गैस और धूल के बादलों के ढहने से तारे और ग्रह प्रणाली कैसे बनती है।
पृथ्वी के हर पहलू और जैवमंडल से लेकर जैव अणुओं तक को खंगालते हुए हमने अद्भुत ज्ञानार्जन तो किया है, लेकिन उसके साथ जिंदा ग्रह पर जीवन सृजन करने वाली नैसर्गिक प्रक्रियाएं काफी छिन्न-भिन्न हो गई हैं। मानव जाति ने भांप लिया है कि पृथ्वी अब हमें लंबे समय तक सहन नहीं कर सकती।
ब्रह्मांड में पृथ्वी के समान कोई शरणस्थल हो सकता है, यह जानने की अनंत जिज्ञासा तो है ही, लेकिन कारण इतना भर नहीं है। अपनी नैसर्गिक जिज्ञासाओं को तृप्त करने के लिए मानव जाति के विकास-धर्म का अनुपालन करते हुए हमें ब्रह्मांड की गहराइयों में गोते लगाने ही थे, आकाश गंगाओं की यात्राएं करनी ही थीं, जीवन पालक ग्रहों की खोजें करनी ही थीं- और हम वही कर रहे हैं, वही करते रहेंगे, जब तक कि अपने लक्ष्यों को नहीं पा लेते।
हमें जो सीखना है वह अंतहीन है- ब्रह्मांड जितना विराट है, जिसमें हमारा ग्रह घूमता है और उसके साथ हम। यह जानना रोमांचक और कभी-कभी असुविधाजनक होता है कि हम अभी तक कितना नहीं जानते हैं। वास्तव में हम जितना जानते हैं और जितनी मात्रा में हमने ज्ञानार्जन किया है, वह उसका एक अंश भी नहीं, जितना हम नहीं जानते और जितना हमें ज्ञानार्जन करना है। ‘वेन वी सीज टू अंडरस्टैंड द वर्ल्ड’ में बेंजामिन लाबाटुट कहते हैं कि कैसे क्वांटम यांत्रिकी के आगमन ने रैखिक पथ को ऊपर उठाया, जिसने उस बिंदु तक, दुनिया को छोटे, और छोटे, टुकड़ों में बांटने से हमारी वैज्ञानिक सफलता में द्रुत गति से वृद्धि की।
विज्ञान का सिद्धांत है कि किसी वस्तु को समझने के लिए उसे वहां तक छोटा करते चले जाओ, जहां से उसे समझने में आसानी हो। इस तरह विज्ञान ने पदार्थ को परमाणु तक और जैवमंडल को कोशिका तक खंडित कर दिया और अपने ब्रह्मांड को अधिकाधिक समझने का प्रयास किया। 1927 में दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों के एक सम्मेलन में, लाबाटुट ने बताया था कि वर्नर हाइजेनबर्ग और नील्स बोहर ने क्वांटम यांत्रिकी के संबंध में अपना आश्चर्य-भरा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था। एक इलेक्ट्रान किसी निश्चित स्थान पर तब तक नहीं होता, जब तक इसे मापा नहीं जाता; यह केवल उसी क्षण में प्रकट होता है।
मापने से पहले, इसमें कोई विशेषता नहीं होती; अवलोकन से पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस खोज के माध्यम से, वैज्ञानिक विचारकों को जीवन के निर्माण खंडों को पूरी तरह से समझने की हमारी क्षमता की सीमाओं का सामना करना पड़ा। हाइजेनबर्ग ने बहुचर्चित ‘अनिश्चितता सिद्धांत’ भी प्रस्तावित किया, जिसमें कहा गया है कि एक कण की स्थिति और गति दोनों को सटीकता से नहीं मापा जा सकता। जितना अधिक सटीक रूप से आप एक मूल्य को जानते हैं, उतना ही कम सटीक रूप से आप दूसरे को जानते हैं। क्वांटम यांत्रिकी ने विज्ञान के प्रक्षेपवक्र को बदल दिया।
क्वांटम यांत्रिकी प्रकृति का वर्णन इस तरह से करती है कि हम आमतौर पर विज्ञान के बारे में जैसे सोचते हैं वह उससे अलग है। यह बताने के बजाय कि चीजें निश्चित रूप से घटित होंगी, क्वांटम यांत्रिकी हमें बताती है कि कुछ चीजों के होने की कितनी संभावना है।
हालांकि इसने कुछ वैज्ञानिक मार्गों की न्यूनतावादी प्रकृति को बदल दिया, लेकिन इसकी अंतर्निहित अनिश्चितता ने इसे कम मूल्यवान नहीं बनाया। क्वांटम यांत्रिकी रसायन विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान की नींव है। एडम फ्रैंक और उनके सहयोगियों का कहना है कि वैज्ञानिक परिवर्तन ने वैज्ञानिकों को सौंपी गई ऐतिहासिक पर्यवेक्षक की स्थिति को बदल दिया है।
उनके अनुसार, ‘हम अब दुनिया को अपने आप में, चीजों को देखने और कार्य करने के अपने तरीकों से बाहर जानने की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं। अनुभव वैज्ञानिक ज्ञान के लिए उतना ही मौलिक है जितना कि भौतिक वास्तविकता से पता चलता है।’
भौतिकी वास्तविकता के साथ चिंताओं को बांधती है, लेकिन प्राय: वास्तविकताओं के बहुत अंदर घुसने का मोह नहीं रखती। वास्तव में, वास्तविकता के बारे में हम जो कहते हैं, भौतिकी कभी-कभार उसका स्थूल रूप ही प्रदर्शित कर पाती है। हमारे जीवन की वास्तविक कहानियां हमारे आसपास की दुनिया के साथ, हमारे संबंधों से उत्पन्न होती हैं।
जैसा कि हाइजेनबर्ग बताते हैं, ‘जब हम अपने युग के विज्ञान की बात करते हैं, तो हम प्रकृति के साथ अपने संबंधों के बारे में बात कर रहे होते हैं, उद्देश्यपूर्ण और अलग पर्यवेक्षकों के रूप में नहीं, बल्कि मनुष्य और दुनिया के बीच एक खेल में अभिनेताओं के रूप में।’ हालांकि हम खुद को अनिश्चितता के दो ध्रुवों के बीच पाते हैं- असीम रूप से छोटा और असीम रूप से भव्य। क्वांटम यांत्रिकी की हमारी समझ हमें एक सटीक परिप्रेक्ष्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
हम इस अनुभूति को स्वीकार कर सकते हैं कि प्रकृति और वास्तविकता की पूरी तरह से समझ से दूर हैं, और प्रकृति और वास्तविकता को संभवत: कभी भी पूरी तरह से समझ नहीं पाएंगे। विज्ञान पूर्ण नहीं है, लेकिन हम निश्चितता की इस कमी के भीतर विकसित होना सीख सकते हैं। यह हमें और अधिक जिज्ञासा और आश्चर्य के साथ दुनिया से संपर्क करने में मदद कर सकता है।
हम जो जानते हैं उसके अनुसार और उसके अनुरूप कार्य कर सकते हैं, जैसे कि जीवन को संभव बनाने वाली गहन अंत:क्रियाओं की हमारी निरंतर बढ़ती प्रशंसा- भूमिगत विस्तृत ‘मायसेलियल नेटवर्क’ से लेकर वैश्विक कार्बन चक्र तक, क्वांटम से ब्रह्मांड तक। हम लगातार अपनी दुनिया का निरीक्षण, विश्लेषण और दार्शनिकीकरण करते हैं और समय के साथ समझ को संशोधित करते हुए एक-दूसरे से इसको साझा करते हैं।
हमारे अनुभव हमेशा हमारी ‘वास्तविकता’ का हिस्सा रहेंगे। दोनों को अलग नहीं किया जा सकता है। हम सदा अनिश्चितता का भी सामना करते हैं, लेकिन निश्चितता के अभाव में संभावित परिणामों की अनगिनत शृंखलाओं के बीच प्राय: अनंत संभावनाओं का डेरा भी होता है। सामूहिक रूप से हम प्रकृति और एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों के माध्यम से, जो संभव है, सर्वोत्तम प्रयास करके, दुनिया को बदल सकते हैं।
मानव ज्ञान के ब्रह्मांडीय आयामों में सबसे उज्ज्वल है पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावनाओं की खोज या ज्ञान आधारित प्रणालियों से जीवन की संभावनाएं पैदा करना। हमारी पृथ्वी जीवन की छिन्न-भिन्नता की जिस स्थिति में आ गई है, उससे अन्य ग्रह या ग्रहों पर जीवन का उदय होते देखना और वहां मानव बस्तियों को उभरते देखना हमारी समकालीन दुनिया की नियति-सी बन गई है। प्रबल संभावना है कि वर्तमान सदी की हमारी पीढ़ियां इस नियति को यथार्थ में उदित होते देखें।