वाह रे चैनलों की बहसें, कि मुद्दा कुछ हो अंतत: वही सवाल चक्कर मारता हुआ सामने आ जाता है कि सारे भ्रष्टाचारी क्या विपक्ष में ही हैं। सत्ता पक्ष में क्या सब देवता हैं… सीबीआइ ईडी उनके पीछे क्यों नहीं लगती, कि अडाणी के पीछे क्यों नहीं लगती… अंदर होंगे कि नहीं? उनकी सदस्यता जाएगी कि नहीं? वे अदालत जाएंगे कि नहीं?
अगर सब एक हो गए तो…
जवाब में वीर रस बरसने लगा कि हम डरने वाले नहीं… कि उनका मतलब वह नहीं था… कि ये बदले की कार्रवाई है… कि चूंकि हम सवाल पूछते हैं, इसलिए सजा दी जा रही है। हम तो कहते हैं, और दो सजा, और दो सजा… एंकर चकित, कुछ चर्चक मुदित और कुछ चर्चक क्षुब्ध कि यार ये क्या लगा रखा है कि पीछे ही पड़े रहते हो सबके… एक एंकर कुछ चिंतित कि ऐसा क्यों किए जा रहे हैं सर जी, कि आपके खिलाफ सारा विपक्ष एकजुट हो जाए…
अगर सब एक हो गए तो…
अगर सब एक हो गए तो…एक गरमागरम बहस में एक प्रवक्ता ने कहा कि ये तो आदतन अपराधी (हैबिचुअल अफेंडर) हैं। कानून अपना काम कर रहा है, अदालत का फैसला है। ये लोग तो अदालत को भी नहीं मानते। खिलाफ फैसला दे तो कहते हैं, अदालत को ‘सेट’ किया गया है, अगर पक्ष में फैसला दे तो वह सही… सारा मुद्दा भैया जी के एक भाषण के टुकड़े पर टिका है, जिस पर एक ने मानहानि का मुकदमा किया है कि इन्होंने एक जाति विशेष का अपमान किया है…
अदालत के फैसले के बाद बहसें गरम। एक प्रवक्ता कहिन कि अपमान कहां, उन्होंने तो वही कहा है, जो दुनिया कह रही है कि इनके उपनाम एक जैसे क्यों हैं? एंकर उवाच कि अदालत ने कहा है कि यह एक समुदाय विशेष का अपमान है… एक बोले कि अगर वे माफी मांग लेते तो अदालत शायद छोड़ देती, लेकिन नहीं बोले… प्रवक्ता गरजे कि क्यों मांगें माफी, क्या गलत कहा? यह सब अडाणी को बचाने की कवायद है, लेकिन वे नहीं बच पाएंगे, देख लेना… हम ऊपरी अदालत जाएंगे…
हाय, कुछ दिन पहले एक शेर को दहाड़ता आता बताया जा रहा था, वही अचानक म्याऊं म्याऊं-सा करता दिखने लगा। शेर की दहाड़ पर अदालत का फैसला भारी पड़ा! ऐसी ही एक बहस में दो प्रवक्ताओं के बीच ऐसी ले दे हुई कि एंकर को कहना पड़ा कि आप ऐसे ही व्यक्तिगत गाली-गुफ्तार करते रहेंगे कि मुद्दे पर भी आएंगे… पर जो योद्धा मुद्दे पर बोले, वह क्या योद्धा?
अब एक चैनल का ‘कान्क्लेव’ और उसमें पीएम का भाषण और वे पिछले पचहत्तर दिनों के काम-काज का हिसाब जैसे-जैसे देते जाते, वैसे-वैसे ताली पड़ती जाती, कि बीच में मीडिया पर चुटकी, कि फिर विपक्ष पर चुटकी कि जब भी कुछ शुभ होता है, कुछ लोग काला टीका लगाना शुरू कर देते हैं। पहले मीडिया की सुर्खियां। कान्क्लेव करने वाले चैनल ने शीर्षक दिया: साधु से सेवक और सेवक से सुपर स्टार पीएम कान्क्लेव में… कान्क्लेव का आकर्षण रही कृत्रिम बुद्धि से निर्मित एक नई पत्रकार ‘सना’, जिसने खांटी हिंदी में पीएम को धन्यवाद दिया और भविष्य में उनसे बातचीत करने की आशा जताई। पीएम ने भी उसे पूरी तन्मयता के साथ देखा…
लेकिन वाह रे चैनलों की बहसें, कि मुद्दा कुछ हो अंतत: वही सवाल चक्कर मारता हुआ सामने आ जाता है कि सारे भ्रष्टाचारी क्या विपक्ष में ही हैं। सत्ता पक्ष में क्या सब देवता हैं… सीबीआइ ईडी उनके पीछे क्यों नहीं लगती, कि अडाणी के पीछे क्यों नहीं लगती…
और अपना टीवी भी इतना कमबख्त है कि उसे हर चीज याद रहती है, कब-कब किस-किस ने किस-किसके बारे में क्या, किस किस्म के ‘सुभाषित’ कहे और कितनी बार कहे, कि अगर इन सबको इकठ्ठा कर दें तो एक नया निराला का ‘राजनीतिक गाली कोश’ ही बन जाए। इसी क्रम में कुछ नई गालियों में एक नए रूपक अलंकार की छटा भी दिखी, जैसे कि एक ने कहा कि वे ‘राजनीति के मीरजाफर’ हैं, तो दूजा बोला कि वे ‘राजनीति के ‘जयचंद’ हैं! हाय! फिर फिर पंजाब, कि हर चैनल पर ‘भिंडरांवाले द्वितीय’ यानी अमृतपाल सिंह की धर-पकड़ के ‘लाइव फुटेज’ और फिर भी उसका भाग निकलना…
सारे पंजाब में छापे पर छापे, लेकिन अमृतपाल गायब। तरह-तरह के सवाल कि यह कैसे हुआ, क्या खबर खुल गई। क्या जानबूझ कर… एक प्रवक्ता बोले कि ये ‘पंजाब दे वारिस’ नहीं ‘पंजाब दे दुश्मन’ हैं। एक कहिन कि ये दिग्भ्रमित युवक हैं, दूजा बोला कि इनको बनाया किसने?
अपने यहां यही होता है। पुलिस पकड़ती रह जाती है और कुछ प्रवक्ता ऐसे हर अपराधी को ‘कवर फायर’ देते नजर आते हैं और फिर एक से एक बड़ा अपराधी निरपराध-सा नजर आने लगता है।
हाय! कितना तो खुला जनतंत्र है अपने यहां, फिर भी कुछ कहते हैं कि वे खतरे में हैं, लेकिन फिर एक दिन एक बाबा के दर्शन, कि बागेश्वर धाम वाले बाबा का आश्रम सीधे मुंबई में… तर्कशास्त्री फिर कहिन कि सब ढकोसला है, लेकिन बाबा जी मस्कुराते हुए कहते रहे कि ये सब ‘उनकी’ कृपा है…
फिर एक चैनल पर एक दूसरे बाबाजी भी दर्शन देने लगे। चैनल ने एक कथित छले गए डाक्टर से उनकी तू तू मैं मैं दिखाई, कि बाबा के लोगों ने मुझे मारा… उधर बाबा कहिन कि वीडियो देख लें, किसने मारा? झूठ बोलता है डाक्टर? मानसिक रूप से बीमार है, तो डाक्टर बोला कि ये बाबा धोखेबाज है…पहली बार भारत ने इग्लैंड के साथ ‘जैसे को तैसा’ वाली बात की।
उधर गोरों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर लहराते तिरंगे का अपमान होने दिया, तो जवाब में इधर दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग की सुरक्षा में तुरंत कमी कर दी गई। तब जाकर गोरों को होश आया और बोले कि हम आगे खयाल रखेंगे। चलते चलते: विपक्ष की एकता जिंदाबाद, कि एक नेता जी कहिन कि हम पीएम नहीं होना चाहते (जैसे कि कोई उनको सचमुच बनाने जा रहा हो!) तो टीप लगाते बहन जी बोलीं कि भैया जी चौबीस का चेहरा नहीं हो सकते…