उधर पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम आते रहे, उधर दलीय प्रवक्ता अपने-अपने आशावाद के सहारे दोपहर तक जीते रहे, लेकिन शाम होते-होते चैनल भी चुनाव परिणामों के रंग में रंग गए और लाइन पर लाइन लगाने लगे: केसरिया लहर… केसरिया लहर… केसरिया लहर… केसरिया लहर… कांग्रेस खत्म… कांग्रेस खत्म… कांग्रेस खत्म…। एक चैनल का एक रिपोर्टर चुनाव परिणामों के आने से ऐन पहले की शाम तक क्रंदन करता रहा कि त्रिपुरा में इस बार कुछ नया होने वाला है।… एंकर भी बार-बार कुरेदता रहा कि इस बार क्या सचमुच कुछ बदल सकता है, तो रिपोर्टर और उत्साहित होकर कहने लगता कि इस बार जरूर कुछ नया होने वाला है…
त्रिपुरा में सत्ताविरोधी लहर को धता बता भाजपा एक बार फिर सत्ता में
मगर हुआ वही जो मतदान पश्चात सर्वेक्षण के पंडितों ने बताया! हुआ वही जो पूर्वातर की जनता ने ‘रचि राखा’! सारी सत्ताविरोधी लहर को धता बताती हुई भाजपा एक बार फिर त्रिपुरा में सत्ता में आ गई। ‘वाम-कांग्रेस’ मोर्चा बुरी तरह से विफल रहा। तृणमूल कांग्रेस भी निपट गई। नगालैंड में भी भाजपा अपने सहयोगी के साथ सत्ता में आ गई और मेघालय में भी वह सत्ता में आती बताई जा रही है।
बाकी के छह उपचुनावों में भी तीन पर भाजपा काबिज रही।… हाय, विपक्ष की एक चोट भी भाजपा को न लगी! होली से पहले ही भाजपा कार्यकता होली मनाते दिखे। भाजपा मुख्यालय में पूर्वोत्तर की जनता और भाजपा कार्यकताओं का अभिनंदन करते हुए प्रधानमंत्री ने नहले पर दहला मारा।
उधर, अगले रोज राहुल भैया अपने एक नए रूप में ‘कैंब्रिज’ के मंच से बोलते दिखते थे! सूट-बूट से लैस और किसी डिजाइनर द्वारा तराशी खफीफी दापूढ़ी तथा अंग्रेजों वाली अंग्रेजी में बोलते हुए वे किसी ‘टाम क्रूज’ से कम न दिखते थे कि… भारत में लोकतंत्र पर दबाव है, मोदी भारत को बर्बाद कर रहे हैं।
मीडिया और न्यायपालिका पर कब्जा है, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, कई नेताओं की जासूसी कराई गई, मेरे फोन में ‘पेगासस’ था। मित्रों ने बताया कि सावधानी से बात करना… भाजपा के अनुराग ठाकुर ने तुरंत जवाब दिया, जो कोसना हो यहां कोसो, विदेश में जाकर क्यों कोसो, और कि पेगासस तो राहुल के दिमाग में है…
गुरुवार से पहले तक अधिकांश चैनल ‘भाजपा’ बरक्स ‘आप’ में बंटे रहे। एक ओर सीबीआइ द्वारा मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, उधर आम आदमी पार्टी द्वारा दमदार अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन।… एक चैनल ने लाइन भी लगाई : ‘आप’ को निशाना बना कर भाजपा जोखिम तो नहीं मोल ले रही? पूरे दो दिन चैनलों पर ‘कट्टर ईमानदार’ बरक्स ‘कट्टर बेईमान’ होता दिखा। ‘आप’ कहती कि भाजपा उसकी लोकप्रियता से डर गई है, इसीलिए बदला ले रही है, वह नहीं चाहती कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले… भाजपा प्रवक्ता जवाबी हमला करते कि आप वालों ने दिल्ली को शराब में डुबो दिया। तीखी बहसों के बाद भी आप और विपक्ष का यह सवाल भाजपा पर चिपका रह गया कि सरकारी एजंसियों की कृपा सिर्फ विपक्ष पर क्यों होती है? भाजपा में क्या सब देवता बसते हैं?