उनको याद करना हम सबके लिए वैसे भी जरूरी है, लेकिन इस वास्ते और ज्यादा, क्योंकि उस हमले के बाद हमारे रिश्ते पाकिस्तान के साथ ऐसे बिगड़ गए हैं कि इमरान खान चाहे फिर से प्रधानमंत्री बन जाएं और बाजवा साहब की जगह कोई और बन जाए सेनाध्यक्ष, रिश्तों में कड़वाहट कम नहीं होगी। साबित कर दिया है हमने बार-बार कि इस हमले को दस नौजवान जिहादियों ने अंजाम नहीं दिया था।
उनके पीछे साफ दिखता है पाकिस्तान की सेना का हाथ, उस सेना की खुफिया एजंसी का हाथ। मगर बिल्कुल उसी तरह जैसे पाकिस्तान की सरकार ने कभी कबूल नहीं किया कि ओसामा बिन-लादेन उसकी एक छावनी में सेना की मर्जी से छिपा रहा कई साल, उसी तरह इनकार करते रहे हैं पाकिस्तानी सेना के जरनैल कि 26/11 में उनका हाथ था।
यही मुख्य कारण है कि आज एक दशक से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी दोस्ती मुश्किल है दोनों देशों के बीच। पाकिस्तान के जरनैलों ने उस कायर हमले से साबित किया कि इतनी नफरत है उनको भारत से कि उनको कोई परवाह नहीं है कि युद्ध भूमि से दूर, हमारे शहरों में आम लोगों को बेवजह मारा जाता है। बच्चे मारे गए थे छत्रपति शिवाजी टर्मिनल के उस प्लेटफार्म पर, जहां अजमल कसाब और उसके एक साथी ने गोलियां चलाई थी।
मुंबई के एक सिपाही ने उसको अपना बलिदान देकर पकड़ा न होता, तो भारत शायद कभी न साबित कर पाता कि इस जिहादी हमले के पीछे पाकिस्तान सरकार का हाथ था। कसाब जब पकड़ा गया तो उसने स्वीकार किया कि उसको और उसके साथियों को आदेश था किसी ‘मेजर साहब’ का कि उनको मुंबई पहुंच कर लोगों को मारना है और मारते जाना है।
बहादुर लोग युद्ध भूमि में उतर कर लड़ते हैं।
कायर लोग युद्ध करते हैं युद्ध भूमि के बाहर उन लोगों के साथ जो न सिर्फ निहत्थे, बल्कि बेकसूर भी होते हैं। ऐसा युद्ध बहुत सालों से पाकिस्तान ने लड़ा है जिहाद के नाम पर भारत के साथ। मगर 26/11 इसलिए खास था कि इसको पूरी दुनिया ने अपनी आंखों से देखा टीवी पर और ऐसे वीडियो पर हमला कैद हुआ, जो दुनिया की खुफिया एजंसियों की मदद से भारत सरकार ने सबके सामने पेश किए हैं सबूत के तौर पर।
इन वीडियो ने साबित किया कि अजमल कसाब और उसके नौ साथी सिर्फ मोहरे थे, जिनको बिसात पर चलाया जा रहा था पाकिस्तान से। मैंने जब ये वीडियो देखे, तो मेरे मन पर खास असर हुआ ताज होटल वाले हमले का, इसलिए कि वहां के सीसीटीवी कैमरों में कैद हैं उन हथियारबंद प्यादों की बातें उन दरिंदों के साथ, जो उनको बिसात पर चला रहे थे। होटल में दाखिल होने के बाद दिखाई देते हैं पुराने ताज की सीढ़ियां चढ़ते हुए।
मुस्कुराते हुए, हैरान होते हुए दिखते हैं चार नौजवान पंजाबी में यह कहते हुए कि यह जगह तो बहुत आलीशान है, और जवाब आता है पाकिस्तान में बैठे दरिंदों का कि ताज होटल को जलाना है और जो भी सामने आए उसको मारना है, इसलिए कि सारी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं उन पर। इसके बाद दिखाई देते हैं जलते हुए ताज के दृश्य। मेरे कुछ दोस्त उस दिन ताज होटल में ठहरे हुए थे, जो बच गए थे उस दिन। बाद में उन्होंने बताया कि किस मुश्किल से उन्होंने वे घंटे गुजारे अपने कमरे में बंद रह कर।
मेरी दोस्त नादिया के शब्दों में, ‘हमने बाहर आने की कोशिश की इस इरादे से कि होटल से बाहर आ सकें तो जान बच जाएगी, लेकिन कमरे से बाहर आते ही गोलियों की आवाज सुनाई दी हमको और दिखे वे लोग जो अंधाधुंध गोलियां चला और दरवाजों को तोड़ कर लोगों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर मार रहे थे।’
मेरी इस दोस्त ने अपने पति के साथ उस बंद कमरे में घंटों गुजारे और जब आग लगने की वजह से जहरीला धुआं भर गया था उनके कमरे में, तो उन्होंने एक मेज उठा कर कांच की खिड़की तोड़ी, ताकि वे सांस ले सकें।
डरावनी कहानियां बहुत सारी और भी हैं उस दिन की। अस्पतालों, रेलवे स्टेशन, रेस्तरां और ओबेराय होटल से, जहां लोगों को अठारहवीं मंजिल पर ले जाकर इतनी बेरहमी से मारा गया कि लाशों के ढेर लग गए थे।
बाद में जब 26/11 पर एक फिल्मी बनाई गई थी, तुर्किये से आए एक पति-पत्नी ने बताया कि उनकी जान सिर्फ इसलिए बच गई थी, क्योंकि जब उस जिहादी हत्यारे ने लोगों को दीवार के साथ खड़ा करके उनकी पीठ में गोलियां चलानी शुरू की थीं, तो उन्होंने फातिहा पढ़ना शुरू किया और इसको देख कर हत्यारे ने उनको आश्वासन दिया कि उनको नहीं मारा जाएगा, क्योंकि उसकी तरह वे भी मुसलमान थे। उसको आदेश था कि सिर्फ काफिरों, विदेशी पर्यटकों और यहूदियों को मारना है।
इस हमले के बाद अगर पाकिस्तान के साथ बातचीत का सिलसिला पूरी तरह बंद हो गया है तो इसलिए कि आज तक पाकिस्तान की सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की है, जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया था।
डेविड हेडली ने अमेरिकी जेल में बंद होने के बाद कबूल किया दुनिया के सामने कि उसने पाकिस्तानी सेना के कहने पर ताज होटल का सारा नक्शा बना कर उनके हवाले किया था, जो हमले की साजिश रचने में लगे हुए थे। अब आप बताइए, किस आधार पर पाकिस्तान के साथ फिर से भारत दोस्ती कर सकता है?