एंकर, रिपोर्टर, दर्शक सब जिज्ञासु कि बाबा कैसे बता देते हैं कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है? इसे जानने के लिए कुछ चैनल मनोविज्ञानियों, दिमाग पढ़ने वालों और ‘मेंटलिस्टों’ की शरण में! एक ‘मेंटलिस्ट’ सुहानी शाह का दावा कि वे चैनलों में सीधा ऐसे ही दिमाग पढ़ कर दिखाएंगी कि यह कला है, लेकिन इसे कैसे करती हैं, सो नहीं बताएंगीं, क्योंकि उससे कला की हानि होती है।
फिर एक कार्यक्रम में वे एंकर से कहती हैं कि आपके मन को पढ़ा जाय… आप अपने मन में किसी मित्र का नाम लो, फिर कहती हैं कि नाम को मन ही मन जोर से बोलो, फिर स्लेट पर खड़िया से वह नाम लिख देती हैं, फिर एंकर से पूछती हैं कि क्या नाम सोचा? एंकर बताती है, तो सुहानी स्लेट पर लिखे नाम को दिखाती हैं।
आह! इस पर वही नाम लिखा है, जो एंकर ने सोचा था। इसे देख एंकर चकित, दर्शक चकित! कमाल की ‘माइंड रीडिंग’! कमाल का ‘आबरा का डाबरा गिलीगिली फू’…बाबा भी शायद ऐसा ही करते दिखते हैं, लेकिन पूछो तो कहते हैं कि इष्टदेव की कृपा, बाबा की कृपा… कृपा यानी कला…
तर्कशास्त्री कहते रहे के यह पाखंड है, धोखाधड़ी है, लेकिन भक्त कहते रहे कि ऐसे लोग जरा दूसरे धर्म के बारे में ऐसा कह कर दिखाएं। बाबा के आलोचक सनातन विरोधी हैं, सनातन को ठोकते रहते हैं, लेकिन सनातनी जाग गया है…
ऐसी बहसा-बहसी में कब ‘हिंदू’ की जगह ‘सनातन’ ने ले ली, कब रामकथा ‘राष्ट्रकथा’ बन गई, कब रामचरितमानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने की मांग की जाने लगी, पता न चला! सब बाबा की लीला!
इतने पर भी चैनल खोज-खोज कर दिखाते रहे कि ये देखो, ये मौलवी झाड़-फूंक कर रहे हैं, ये पादरी ‘चंगाई सभा’ करके रोगियों को ठीक कर रहे हैं…‘कट टू पब्लिक’ और ‘पब्लिक’ इस बाबा की दीवानी! बाबा भी भक्तों को कहते, ‘पागल’। लाखों पागल। जितना प्रसारण, उतनी ही बढ़ती भीड़! कैमरे भक्त से पूछते, आप कहां से आए? भक्त कहिन कि बिहार से आए हैं और कि बाबा में हमारी श्रद्धा है।
फिर ‘कट टू बाबा’! एक चैनल को बताते… चौबीस चैनल पीछे लगे हैं। सबसे बातचीत किए हैं। आलोचक सवाल करते हैं, तो हम उनसे पूछते हैं कि जरा दूसरे धर्मों से ऐसे सवाल पूछ के देखें… कुछ लोगों को हिंदू यानी सनातन धर्म को पीटने की आदत पड़ गई है, लेकिन अब सनातन वाले जाग गए हैं, फिर बाबा ताली बजाते हैं, हाथों को उंचा उठाते हैं और हंसते हैं। बाबा अपना जादू जानते हैं। बाबा पर आरोप है कि वे ‘घरवापसी’ भी कराते हैं। यह भी उनसे नाराजगी का कारण है!
फिर खबर आती है कि बाबा को, उनके घरवालों को धमकी मिली है। बाबा का जवाब है कि हम सनातनी हिंदू शेर हैं, हम डरने वाले नहीं हैं! एक चैनल पर कई बाबा स्टूडियो में। एक बाबा कह उठते हैं, मैं यहीं एक ऐसा मंत्रा पढूंगा कि यहीं ये… हो जाएगा… एंकर जैसे-तैसे बाबा को संभालती है कि बाबा जी हो गया बस… ये बाबा युग है प्यारे!
सात दिन ऐसा बाबा-काव्य बरसा कि हिंदी का सारा भक्ति काव्य, सारे कबीर, तुलसी, सूर सब बेकार हो गए! एक चैनल पर बाबा के बाबा आए और बोले कि चेला सही कर रहा है, लेकिन दूसरे बाबा बोले कि हमारे पास आएं, परीक्षा दें तो मानें!
एक दिन नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नारे की तरह बाबा नारा दे देते हैं कि तुम मेरा साथ दो मैं तुम्हें हिंदू राष्ट्र दूंगा…बाबा लीला पर विराम लगाया बीबीसी के एक वृत्तचित्र ने, जिसे सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित कर दिया और आजादी वादियों को मौका दे दिया कि चिल्लाएं ‘आजादी आजादी’! इसके बाद हर चैनल पर ‘आजादी आजादी’… जेएनयू, जामिया, जादवपुर, हैदराबाद, अलीगढ़ आदि विश्वविद्यालयों के छात्रों का वृत्तचित्र देखने के लिए अड़ना लड़ना! एक बोले कि ‘सत्य’ अंतत: बाहर आ ही जाता है, लेकिन यह भूल गए कि हर सत्य एक ‘निर्मिति’ ही होता है!
कई एंकरों और विशेषज्ञों ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत अपना फैसला दे चुकी है, उसे न मान कर बीबीसी इराक में जैविक हथियारों का झूठ गढ़ने वाले जैक स्ट्रा जैसे संदिग्ध व्यक्ति के बताए ‘सत्य’ दिखा रहा है। क्या बीबीसी हमारी अदालतों से ऊपर है? यह उसकी अवशिष्ट ‘औपिनवेशिक मानसिकता’ है!
कांग्रेसी जनतंत्र गजब का जनतंत्र। यात्रा के अंतिम क्षण। एक यात्रा से कमाता है, तो दूसरा उसे यात्रा के अंतिम क्षणों में गंवाता है! सच! ‘हुए तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमां क्यों हो!’