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पी. चिदंबरम का कॉलम दूसरी नजर: अमृतकाल और सवाल- आखिर सरकार गरीबों की बात क्यों नहीं करती?

ऐसा माना जाता है कि, अमृतकाल में, ‘मनुष्यों के लिए अधिक सुख और आनंद के द्वार खुलेंगे’। ये प्रश्न, जिनका उत्तर अगर दिया जाए, तो कम से कम लाखों लोगों के लिए अवसरों का एक झरोखा खुलेगा, बहुत खुशी या आनंद के लिए नहीं, बल्कि भोजन और नौकरियों जैसी सांसारिक चीजों के लिए। क्या हमें इनके उत्तर मिलेंगे?

Narendra Modi| PM Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- पीटीआई)

हम अमृत काल में हैं। हमें विश्वास करना चाहिए कि ‘परमेश्वर अपने स्वर्ग में है और दुनिया में सब कुछ ठीकठाक है!’ फिर भी, मुझे देशद्रोही होने के लिए क्षमा करें, मेरे पास सरकार से जुड़े कई सवाल हैं। आम लोग मुझसे ये सवाल इस उम्मीद के साथ पूछते हैं कि उन्हें इनके उत्तर मिलेंगे।

  1. निस्संदेह विकास हुआ है। मगर उसके बावजूद, क्या सरकार मानती है कि भारत में गरीबी बहुत अधिक है? गरीब आबादी का अनुपात क्या है? अगर नीचे के पचास फीसद लोगों के पास सिर्फ तीन फीसद संपत्ति (OXFAM) है, तो क्या उन्हें गरीब नहीं माना जाएगा? क्या सरकार वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक से सहमत है, जिसके अनुमान के अनुसार भारत की सोलह फीसद जनसंख्या (22.4 करोड़) गरीब है? फीसद कुछ भी हो, सरकार गरीबों की बात क्यों नहीं करती? 1 फरवरी, 2023 को नब्बे मिनट के बजट भाषण में ‘गरीब’ शब्द केवल दो बार क्यों आया?

रोजगार और भोजन

  1. क्या सरकार मानती है कि भारत में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है? क्या यह सही है कि भारत में ‘श्रमबल’ करीब 47.5 करोड़ है और ‘श्रमबल भागीदारी दर’ (यानी काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले लोग) 48 फीसद हैं? बाकी श्रमबल- लगभग 25 करोड़- काम क्यों नहीं कर रहा या काम की तलाश क्यों नहीं कर रहा है? क्या यह सही है कि जनवरी 2020 और अक्तूबर 2022 के बीच, काम करने वाले लोगों की संख्या पुरुषों में पैंतालीस लाख और महिलाओं में छियानबे लाख कम थी? क्या सरकार सीएमआइई के अनुमान से सहमत है कि बेरोजगारी दर 7.5 फीसद है? आखिर पूरे बजट भाषण में ‘बेरोजगारी’ शब्द क्यों नहीं बोला गया?
  2. भारत में भुखमरी में बढ़ोतरी के बारे में सरकार का अनुमान क्या है? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत 123 देशों में 101वें स्थान से खिसक कर 107वें स्थान पर पहुंच गया है? क्या सरकार इस तथ्य से वाकिफ है कि महिलाओं (57 फीसद) में खून की कमी है और पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में बौनापन (36 फीसद) और अपक्षय (19 फीसद) बढ़ रहा है? क्या सरकार इस बात से सहमत है कि कुपोषण- या पर्याप्त भोजन की कमी- रक्ताल्पता, बौनापन और अपक्षय का मुख्य कारण है? क्या सरकार कारण बताएगी कि 2023-24 में पोषण (मिड-डे मील योजना) के लिए बजट आबंटन चालू वित्तवर्ष की तुलना में बारह सौ करोड़ रुपए कम क्यों किया गया? क्या सरकार यह बताएगी कि 2023-24 में भोजन के लिए सबसिडी में अस्सी हजार करोड़ रुपए की भारी कटौती क्यों की गई है?
  3. क्या सरकार स्पष्ट करेगी कि 2023-24 में उर्वरकों के लिए सबसिडी में साठ हजार करोड़ रुपए की कटौती क्यों की गई है? क्या उर्वरकों की कीमतों के साथ-साथ खाद्य फसलों की उत्पादन लागत भी नहीं बढ़ेगी? नतीजतन, क्या खाद्य और खाद्य उत्पादों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी? क्या इससे गरीब परिवारों में भोजन की खपत नहीं घटेगी?

खाली जगहें

  1. क्या यह सच नहीं है कि भारत में एक लाख सत्रह हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनमें केवल एक अध्यापक है और उनमें से सोलह फीसद स्कूल (16,630) अकेले मध्य प्रदेश में हैं? क्या सरकार यह बता सकती है कि स्कूल में एक अध्यापक किस तरह पांच कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ा सकता है? क्यों इन स्कूलों में और अध्यापकों की भर्ती नहीं की गई? क्या ऐसा इसलिए है कि योग्य अध्यापक नहीं हैं या फिर सरकार के पास उन्हें भर्ती करने के लिए पैसा नहीं है? इन स्कूलों में बच्चे क्या सीखते होंगे?
  2. क्या यह सही है कि हजारों युवा पुरुष- और अब महिलाएं- सशस्त्र बलों या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में नौकरी की इच्छा रखते हैं? क्या सरकार को पता है कि सीएपीएफ में 84,405 रिक्तियां हैं? सीएपीएफ में लगातार भर्ती क्यों नहीं की जाती है, ताकि रिक्तियां होने पर चयनित उम्मीदवारों को तुरंत नियुक्त किया जा सके? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इन पदों के इच्छुक नौजवान देश के कम पढ़े-लिखे और गरीब परिवारों से हैं? क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि उनमें से कई सामाजिक रूप से पिछड़े और समाज के कमजोर वर्गों से होंगे?
  3. क्या यह सही है कि तेईस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में स्वीकृत 8,153 पदों में से 3,253 शिक्षण पद रिक्त हैं? क्या यह भी सही है कि पचपन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वीकृत 18,956 पदों में से 6,180 शिक्षण पद रिक्त हैं? चूंकि आइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालय सीधे केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित होते हैं, तो आइआइटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अधिक शिक्षकों की नियुक्ति क्यों नहीं की जाती है? क्या यह भी सही है कि ज्यादातर रिक्तियां पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदों पर हैं? क्या ये पद इसलिए खाली हैं कि इनके योग्य शिक्षक नहीं हैं या उन्हें नियोजित करने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है?

अमृतकाल निकल रहा है

  1. क्या यह सही है कि पिछले नौ वर्षों में हर साल एक लाख से अधिक लोगों ने अपनी नागरिकता त्याग दी और देश छोड़ दिया? और क्या यह सही है कि 2022 में सवा दो लाख लोग नागरिकता और देश छोड़ कर चले गए? क्या सरकार ने इस बात की जांच कराई है कि क्यों इतने सारे भारतीय- शायद अच्छी शैक्षणिक योग्यता वाले- हर साल नागरिकता छोड़ देते हैं?
    ऐसा माना जाता है कि, अमृतकाल में, ‘मनुष्यों के लिए अधिक सुख और आनंद के द्वार खुलेंगे’। ये प्रश्न, जिनका उत्तर अगर दिया जाए, तो कम से कम लाखों लोगों के लिए अवसरों का एक झरोखा खुलेगा, बहुत खुशी या आनंद के लिए नहीं, बल्कि भोजन और नौकरियों जैसी सांसारिक चीजों के लिए। क्या हमें इनके उत्तर मिलेंगे?

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First published on: 26-02-2023 at 06:00 IST
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