Tumbbad Movie Review: क्या पूरी होगी ‘तुम्बाड’ में खजाने की तलाश या मिलेगा कोई बड़ा सबक?
Tumbbad Movie Review and Rating: 'तुम्बाड' एक काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म है। फिल्म पहले सीन से लेकर आखिरी सीन कर बांधने में सफल होती है।

Tumbbad Movie Review and Rating: विनायक राव अपनी मां और बहन के साथ महाराष्ट्र के गांव तुम्बाड में रहता है। गांव में अफवाह है कि एक बाड़े में खजाना छिपा है। इसकी तलाश विनायक और उसकी मां को होती है। परिस्थितियों वश विनायक को अपनी मां के संग पुणे जाना पड़ता है। पुणे से विनायक कई सालों के बाद वापस तुम्बाड लौटता है। लेकिन उसके मन से अभी तक खजाने की बात जाती नहीं है। उसकी शादी और बच्चे भी हो जाते हैं लेकिन धन का लोभ उसे पुणे से तुम्बाड खींच लाता है। आखिरकार यहां पर विनायक की जिंदगी में ऐसी घटना घटती है कि उसे बहुत बड़ा सबक मिलता है।
‘तुम्बाड’ एक काल्पनिक कहानी पर आधारित फिल्म है। फिल्म पहले सीन से लेकर आखिरी सीन कर बांधने में सफल होती है। श्रीराम राघवन की फिल्म अंधाधुन के बाद यह ऐसी दूसरी फिल्म है जो आपको अपनी सीट न छोड़ने के लिए मजबूर करती है। फिल्म का निर्देशन राही अनिल बर्व और आनंद गांधी ने किया है। आनंद गांधी इससे पहले ‘शिप ऑफ थिसिस’ जैसी बेहतरीन फिल्म का निर्देशन कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने अरविंद केजरीवाल के आंदोलन पर बनी ‘एन एक्सट्राऑर्डिनरी मैन’ को भी प्रोड्यूस किया था।
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फिल्म में सोहम शाह, रंजिनी चक्रवर्ती, दीपक दामले, अनीता दाते, हरीश खन्ना जैसे कलाकार लीड भूमिका में हैं। सोहम को फिल्म ‘तलवार’ और ‘सिमरन’ में देखा जा चुका है। इन दोनों की फिल्मों में उन्होंने शानदार अभिनय किया था। फिल्म का बजट काफी कम है। तुम्बाड के साथ ही गोविंदा की ‘फ्राइडे’, काजोल की ‘हेलीकाप्टर ईला’, महेश भट्ट के प्रोडक्शन में ‘जलेबी’ ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है। फिल्म के साथ एक नेगेटिव ये भी है कि इस फिल्म को एडल्ट सर्टीफिकेट के साथ रिलीज किया गया है। ट्रेड पंडित ऐसे कयास लगा रहा हैं कि फिल्म में स्टार पावर न होने के कारण फिल्म को नुकसान हो सकता है।
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