Kaagaz Review: कागज़ पर टिका हाड़-मांस के आदमी का वजूद, भरत लाल मृतक बन पंकज त्रिपाठी फिर छाए स्क्रीन पर
भरत लाल आज़मगढ़ ज़िले के अमीलो गांव का रहने वाला एक शख्स है जिसकी बैंड-बाजे की दुकान है। वह आगे बढ़ना चाहता है इसलिए पत्नी के कहने और फिर पंडित जी की

Kaagaz Review: पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘कागज’ जी5 पर आज यानी 7 जनवरी को रिलीज हो चुकी है। फिल्म में पंकज त्रिपाठी के अलावा सतीश कौशिक भी हैं। सतीश कौशिक ने इस फिल्म को डायरेक्ट भी किया है। पंकज त्रिपाठी की ये फिल्म सलमान खान के प्रोडक्शन बैनर तले बनी है। फिल्म में पंकज त्रिपाठी एक ग्रामीण की भूमिका में हैं जिसकी मौत हो गई है कागजों में।
मतलब ये कि वह जिंदा तो है लेकिन कागजों में उसे मार दिया गया है। अब ऐसे में वह कागज में खुद को फिर से जिंदा करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ता है, कोर्ट के चक्कर काटता है और कई बार मातम भी मनाता है, फिर हारता है और फिर लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। अंत में उसकी ये लड़ाई उसे कहां ले जाती है, फिल्म का क्लाइमेक्स काफी दिलचस्प है।
क्या है प्लॉट– भरत लाल आज़मगढ़ ज़िले के अमीलो गांव का रहने वाला एक शख्स है जिसकी बैंड-बाजे की दुकान है। वह आगे बढ़ना चाहता है इसलिए पत्नी के कहने और फिर पंडित जी की सलाह पर वह अपनी दुकान बड़ी करने का सोचता है और बैंक में लोन के लिए आवेदन कर देता है। अब बैंक वाले उससे बदले में कुछ गिरवी रखने के लिए कहते हैं। ऐसे में व ह अपन हिस्से की जमीन गिरवी भी रख देता है।
अपनी जमीन के बारे में पता करने जब वह तहसील ऑफिस पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि उसे मरे हुए तो जमाना बीत गया है। हैरान तो वह तब होता है जब उसका बचपन का साथी भी उसे मरा हुआ समझकर कहता है कि वह जिंदा नहीं हो सकता। क्योंकि उसने कागज में लिखा देखा है कि भरत तो मर चुका है। दरअसल, चाचा उसकी जमीन हड़पना चाहता है और इसलिए ये सारा प्रपंच रचा जाता है।
अब भरत लाल के दिमाग से लोन का भूत तो उतर जाता है वह अब इस और दौड़ धूप करने लगता है कि वह जिंदा है। वह डीएम से लेकर पीएमओ तक को चिट्ठी लिखता है लेकिन उसकी सुनने को कोई राजी ही नहीं। इस बीच उसे अहसास होता है कि इस देश में सबसे शक्तिशाली जो है वह है लेखपाल। प्रधानमंत्री से भी ज्यादा शक्तिशाली। 18 सालों तक वह इस केस के पीछे लड़ता रहता है लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता।
अब उसके बाल भी पक चुके हैं, काम काज भी ठप्प हो गया है, पत्नी भी छोड़ कर चली गई है, फिर भी भरत हार नहीं मानता और लड़ता रहता है। इसके बाद उसकी लड़ाई एक आंदोलन का रूप ले लेती है। लोकतंत्र के तीनों स्तंभ जब उसके काम नहीं आते तो वह चौथे स्तंभ का सहारा लेता। मीडिया इस लड़ाई में उसका साथ देती है। जब भरत का मामला सामने आता है तो एक के बाद एक ऐसे और भी कई लोग इसी समस्या को लेकर बाहर आते हैं और तब पता चलता है कि कई लोगों के साथ ये हो चुका है।
यह फिल्म असल जिंदगी से इंस्पायर्ड है। उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले में रहने वाले लाल बिहारी मृतक हैं। जिंनकी जिंदगी पर फिल्म बनी है। वहीं पर्दे पर ‘कागज़’ की इस जंग को भरत लाल मृतक यानी पंकज त्रिपाठी लड़ रहे हैं। इस व्यंगा प्रधान फिल्म को काफी पसंद किया जा रहा है। वहीं क्रिटिक्स को भी फिल्म अच्छी लग रही है। पंकज त्रिपाठी का काम दर्शकों को बहुत पसंद आया है। जिस तरह से वह इस किरदार में घुसे हैं वह काबिल ए तारीफ है।
Kaagaz Movie Cast: पंकज त्रिपाठी, सतीश कौशिक, सौरभ शुक्ला, मोनल गज्जर, मीता वशिष्ठ, अमर उपाध्याय
Kaagaz Movie Director: सतीश कौशिक
Kaagaz Movie Rating: 2.5
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