रोशनी का त्योहार दिवाली का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। जिसका लोग साल भर इंतजार करते हैं। इस बार दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली से 15 दिन पहले मां लक्ष्मी का भी पर्व मनाया जाता है। उस दिन पूजा भी की जाती है। इस दिन को शरद पूर्णिमा या कोजागरी कहा जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022 को मनाई जा रही है।
शरद पूर्णिमा/कोजागरी व्रत विधि
कोजागरी व्रत आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को कोजागर व्रत के रूप में माना जाता है। इसे कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने महारास की रचना की थी। ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। इस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की मूर्ति को कपड़े से ढककर विभिन्न तरीकों से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात में चंद्रमा के उदय होने पर घी के 11 दीपक जलाएं और दूध से बनी खीर को किसी बर्तन में रखकर चांदनी रात में रख दें। कुछ समय बाद चन्द्रमा की रोशनी में रखी खीर देवी लक्ष्मी को अर्पित कर ब्राह्मणों को प्रसाद के रूप में दान करना चाहिए। अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत तोड़ना चाहिए।
रात्री जागरण
आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रात भर भजन-कीर्तन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रात देवराज खुद धरती पर आते हैं और देखते हैं कि कौन जग रहा है और भजन कर रहा है।
मां लक्ष्मी के चरण
शरद पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति पूरी रात जागकर विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन लोग देवी लक्ष्मी के प्रवेश के लिए घर के दरवाजे से पूजा स्थल तक उनका चरण बनाते हैं। इस दिन खीर बनाने की भी परंपरा है।
खीर का भोग
रात के समय मां लक्ष्मी को विशेष खीर का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में खीर रखने से उसमें अमृत की बूंदें गिरती हैं। इसलिए ज्यादातर लोग गाय के दूध से बनी खीर को रात को चांदनी में रखते हैं और सुबह प्रसाद के रूप में इसका सेवन करते हैं।