जानिए, क्यों करते हैं हाथ जोड़कर नमस्ते और क्या बताए गए हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक फायदे
विज्ञान यह मानता है कि हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। नमस्कार करते वक्त हथेलियों को आपस में दबाने से या जोड़े रखने से हृदय चक्र या आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है।

हाथ जोड़कर नमस्कार या प्रणाम का करना एक प्रकार का सम्मान और संस्कार है। प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है। साथ ही बड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार करने का वैज्ञानिक-धार्मिक महत्व और लाभ भी बताया गया है। इसके अलावा यह भी धारणा है कि नमस्कार मन, वचन और शरीर तीनों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है। हममें से कई लोग बड़े-बुजुर्गों को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं। परंतु क्या आप यह जानते हैं कि हाथ जोड़कर नमस्ते क्यों करते हैं? और ऐसा करने के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ क्या बताए गए हैं? आगे हम इसे जानते हैं।
विज्ञान यह मानता है कि हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। नमस्कार करते वक्त हथेलियों को आपस में दबाने से या जोड़े रखने से हृदय चक्र या आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है। जिससे हमारी जागृति बढ़ती है। साथ ही मन शांत रहता है और चित्त में प्रसन्नता आती है। इसके अलावा हृदय में पुष्टता आती है और निर्भीकता बढ़ती है। वहीं धार्मिक ग्रन्थों में भी हाथ जोड़कर नमस्ते करने के कारण और फायदे बताए गए हैं। जिसके अनुसार दाहिना हाथ आचार यानि धर्म और बांया हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है।
नमस्ते करते समय दांया हाथ बांया से जुड़ता है। शरीर में दाईं ओर इड़ा और पिंगला नाड़ी होती है। ऐसे में नमस्ते करते वक्त इड़ा, पिंगला के से मिलती है और सिर श्रद्धा से झुका हुआ होता है। साथ ही जब हम हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो हमारी आंख, कान और दिमाग की शक्ति बढ़ती है। साथ ही साथ स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है। इसका एक और फायदा है कि जब हम इस तरह से हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो सामने वाला व्यक्ति हमें ज्यादा दिन तक याद रखता है। इसलिए हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि नमस्ते हाथ जोड़कर करना चाहिए।
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