सावन के महीने में नवविवाहित स्त्रियां क्यों चली जाती हैं मायके, क्या है इसकी पीछे की मान्यता
सावन की महीने में भगवान शिव की पूजा की जाता है और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव काम के शत्रु माने जाते हैं।

हिंदू धर्म में सावन के महीने का काफी महत्व है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने वालों की मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में कुछ काम ऐसे होते हैं, जिन्हें करने की मनाई होती है। सावन के महीने में कई त्योहार आते हैं, जैसे की नाग पंचमी, तीज आदि। मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में नवविवाहित स्त्रियों को अपने मायके में रहकर ही इन त्योहारों को मनाना चाहिए। सावन के महीने में स्त्रियों के अपने मायके जाकर त्योहार मनाने से उनके पति की आयु लंबी होती है तो वहीं उनका दांपत्य जीवन भी खुशहाल रहता है।
जानकारों के अनुसार सावन के महीने में शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, ऐसा करने से सेहत पर विपरीत असर पड़ता है। आयुर्वेद भी इसे स्वीकार करता है। आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में व्यक्ति के अंदर रस का संचार ज्यादा होता है। रक्त का संचार बढ़ने की वजह से शारीरिक संबंध बनाने की भावना बढ़ती है। अगर इस मौसम में ज्यादा सेक्स किया जाता है तो नवविवाहितों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सावन के महीने में गर्भ ठहरने के कारण होने वाली संतान मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। यहीं कारण है कि भारतीय संस्कृति में त्योहारों की ऐसी पंरपरा बनाई गई है, जिससे इस महीने में नवविवाहित स्त्रियां अपने मायके जा सकें और उनके होने वाले बच्चे को किसी तरह की कोई बीमारी न हो।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को काम का शत्रु माना जाता है। पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार सावन के महीने में कामदेव ने भगवान शिवजी पर बाण चलाया था, जिससे शिवजी को गुस्सा आ गया और कामदेव को भस्म कर दिया।
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