नीम करोली बाबा उन आध्यात्मिक संतों में शुमार हैं, जिनके बारे में तमाम किवदंतियां हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले (अकबरपुर गांव) के रहने वाले नीम करोली बाबा को उनके भक्त हनुमान जी का अवतार भी बताते हैं। उनके भक्तों में देश-विदेश के तमाम दिग्गज शुमार हैं। जिनमें एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स से लेकर हॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स तक शामिल हैं। नीम करोली बाबा भले ही दुनिया में न हों, लेकिन उनके आश्रम कैंची धाम में अब भी भक्तों-श्रद्धालुओं का वैसा ही मजमा लगता है। बताया जाता है कि कैंची धाम की स्थापना बाबा ने साल 1964 में की थी।
नीम करोली बाबा के आराध्य थे हनुमान जी: कहा जाता है कि नीम करोली बाबा को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर का साक्षात्कार हो गया था। वे बजरंगबली को अपना गुरु और आराध्य मानते थे। नीम करोली बाबा ने अपने जीवनकाल में करीब 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया। लाखों फॉलोअर्स के बावजूद वे आडंबर से दूर रहना पसंद करते थे और एक आम इंसान की तरह रहा रहते थे।
किसी से पैर नहीं छुलवाते थे: नीम करोली बाबा किसी से अपना पैर नहीं छुलवाते थे, जो कोई भी भक्त बाबा के पैर छूने के लिए आगे बढ़ता था वो उसको रोक देते थे। वो कहते थे कि मेरी जगह हनुमान जी का पैर छुओ…वही कल्याण करेंगे।
स्टीव जॉब्स भी जा चुके हैं कैंची धाम: एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स 1973 में भारत की यात्रा पर आए थे। कहते हैं कि जॉब्स सन्यास लेने के मन बना चुके थे, लेकिन कैंची धाम पहुंचते ही उनकी सोच में बदलाव आ गया। दरअसल, वह नीम करोली बाबा के दर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन बाबा देहांत हो चुका था। बताया जाता है स्टीव जॉब्स कुछ दिन आश्रम में रुके और ध्यान- योग किया। इसी दौरान उन्हें एपल का आइडिया आया।
PM मोदी से मार्क जुकरबर्ग ने किया था जिक्र: पीएम मोदी ने साल 2015 में अमेरिका की यात्रा की थी। इस दौरान उनकी फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से मुलाकात भी हुई थी। तब मार्क ने पीएम मोदी से नीम करोली बाबा का जिक्र किया था। मार्क ने बताया था कि इस मंदिर में जाने के लिए उन्हें एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स ने कहा था।
जानिए कौन थे नीम करोली बाबा: नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। नीम करोली महाराज के पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। साथ ही बाबा के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और बताया जाता। बाबा की प्रारंभिक शिक्षा अकबरपुर गांव में ही हुई थी। बाद में वे आध्यात्म की तरफ मुड़ गए।