Vinayak Chaturthi Vrat 2019 Date and Time, Puja Shubh Muhurat Timings, Puja Vidhi: विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2019 kab hai) भगवान गणेश को समर्पित व्रत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी व्रत भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस महीने यह 30 तारीख यानि शनिवार के दिन पड़ रहा है। मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी के दिन पड़ने वाले विनायक चतुर्थी के बारे में मान्यता है कि इसके प्रभाव से जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है। इसके अलावा इस व्रत को विधि-पूर्वक करने से मनोकामना पूरी होती है।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक का समय शुभ है।
पूजा-विधि: गणेश जी की पूजा के लिए सुबह नित्यक्रिया से निवृत हो जाएं। इसके बाद घर के पूजा स्थल या मंदिर में गणेश जी की पूजा से पहले साफ सुथरे कपड़े पहनें। पूजा के समय गणेश मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र उच्चारण और आवाहन के बाद दूर्वा, फूल, चंदन, दही, पान का पत्ता और मिठाई आदि भगवान गणेश को अर्पित करें। इतना करने के बाद धूप-दीप जलाकर विनायक चतुर्थी कथा का पाठ करें। पाठ के बाद भगवान गणेश की आरती कर प्रसाद का वितरण करें।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो बार चतुर्थी की तिथि आती है और मान्यताओं में चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का दिन माना गया है। हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या के बाद जब नया चांद आता है और इसके बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है। वैसे तो ये हर महीने पड़ता है लेकिन भाद्रपद में पड़ने वाली चतुर्थी को गणेश चतुर्थी कहा जाता है जिसे पूरी दुनिया में धूमधाम से गणपति के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है लेकिन हर मास की चतुर्थी को भी गणपति की पूजा और व्रत का खास महत्व है।
आप हमारे इस ब्लॉग के जरिए गणेश जी की पूजा से लेकर व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और कथा व आरती के बारे में विस्तार से जान सकते हैं—
विनायक चतुर्थी पर ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व स्नान कर पवित्र हो जाएं। इसके बाद पूजन सामग्री को एक जगह एकत्र कर घर की मंदिर के पास रख लें। एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछा दें, जहां विनायक को स्थापित किया जाएगा। अब सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। इसके बाद कलश स्थापना और गणपति आह्वान के साथ विधि-विधान से उनकी पूजा करें। पूजा और व्रत रखने वाले अगर कथा सुनें तो अति उत्तम होगा। इसके बाद विनायक को मोदक प्रसाद के रूप में अर्पित करें। भोग लगाने के बाद गणेश जी की आरती से पूजा संपन्न करें।