यह है इकलौता ऐसा प्राचीन शिव मंदिर जहां उपस्थित नहीं हैं ‘शिव के वाहन नंदी’
यह उस समय की बात है जब ब्रह्मदेव के पांच मुख थे। इसमें से चार मुख वेद का उच्चारण करते थे और पांचवां निंदा करता था। निंदा वाले मुख से शिव जी नाराज हो गए और उन्होंने उस मुख से ब्रह्मा जी के शरीर से अलग कर दिया।

भगवान शिव के सभी मंदिरों में उनके वाहन नंदी अवश्य रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान भोलेनाथ का वाहन नंदी बैल है। आपने भी यह देखा होगा कि जहां कहीं भी शिव मंदिर स्थित है वहां शिव के साथ उनके वाहन नंदी भी मौजूद होते हैं। परंतु भारत में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां शिव के साथ उनके वाहन नंदी उपस्थित नहीं हैं। क्या कभी आपने सोचा कि आखिर ऐसा क्यों है? साथ ही ये शिव मंदिर ही एकमात्र ऐसा क्यों हैं जहां नंदी मौजूद नहीं हैं। पौराणिक मान्यताओं और कथाओं के आधार पर इस शिव मंदिर के बारे में जानते हैं ।
महाराष्ट्र के नासिक में प्रसिद्ध कपालेश्वर महादेव मंदिर जो गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। माना जाता है कि यह संसार का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भोलेनाथ का वाहन नंदी मंदिर में मौजूद नहीं है। हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि कपालेश्वर महादेव मंदिर में एक समय भगवान ब्रह्मा जी ने निवास किया था। यह उस समय की बात है जब ब्रह्मदेव के पांच मुख थे। इसमें से चार मुख वेद का उच्चारण करते थे और पांचवां निंदा करता था। निंदा वाले मुख से शिव जी नाराज हो गए और उन्होंने उस मुख से ब्रह्मा जी के शरीर से अलग कर दिया। इस घटना के कारण शिव जी को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। उस पाप से मुक्ति पाने के लिए शिव जी ब्रह्मांड में हर जगह घूमे लेकिन उन्हें मुक्ति का उपाय नहीं मिला।
एक समय जब वे सोमेश्वर में बैठे थे तब एक बछड़े द्वारा उन्हें इस पाप से मुक्ति का उपाय बताया गया। बछड़े के रूप में नंदी थे वो शिव जी के साथ गोदवारी के राम कुंड तक गए और कुंड में स्नान करने को कहा। स्नान के बाद शिव जी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो सके। कहते हैं कि नंदी के कारण ही शिव जी को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। इसलिए उन्होंने नंदी को अपना गुरु माना और यही शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। चूंकि अब नंदी महादेव के गुरु बन गए इसलिए उन्होंने इस मंदिर में उन्हें स्वयं के सामने बैठने से माना किया। इस तरह इस मंदिर में आपको नंदी नजर नहीं आएंगे।
Hindi News से जुड़े अपडेट और व्यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल के साथ गूगल प्लस पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App