Sheetala Ashtami 2023: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का त्योहार का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार हर साल होली के आठवें दिन और चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बासोड़ा भी कहते हैं। इस दिन माता को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है। मान्यता है इस दिन जो माताएं व्रत रखकर माता शीतला की पूजा- अर्चना करती हैं। उनके बच्चों को माता शीतला आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता चेचक की देवी कहलाती हैं वहीं उत्तर भारत के कुछ राज्यों जैसे पश्चिमी यूपी, दिल्ला, हरियाणा और राजस्थान में काफी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं तिथि और उपाय…
शीतला अष्टमी तिथि 2023 (Sheetala Ashtami 2023)
वैदिक पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 23 मिनट से आंरभ हो रही है। साथ ही इसका अंत 15 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर होगा। इसलिए 15 मार्च को शीतला अष्टमी होगी।
शीतला अष्टमी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार शीतला माता की पूजा का मुहूर्त 15 मार्च की सुबह 06 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर शाम 06 बजकर 28 मिनट तक है। इस बीच में माता शीतला की पूजा- अर्चना की जा सकती है।
शीतला अष्टमी पर करें ये उपाय
1- शीतला अष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा साथ शीतला माता को जल अर्पित करें। थोड़ा सा जल बचा लें और उसे घर के हर कमरे और हर दिशा में छिड़क दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का वास खत्म हो जाएगा। साथ ही सुख- समृद्धि का वास रहेगा।
2- अगर घर पर कोई सदस्य आए दिन बीमार हो जाता हो तो शीतला इस दिन सुबह जल्दी उठकर सन्ना करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें और फिर माता की फोटो या फिर कोई मूर्ति हो तो उसे चौकी पर रखकर कुमकुम, अक्षत और लाल रंग के फूल चढ़ाएं। इसके बाद माता को एक दिन पहले बनाए हुए पूड़ी-हलवे का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको आरोग्य की प्राप्ति हो सकती है।
शीतला माता की आरती
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता। जय शीतला माता…
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता। जय शीतला माता…
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता । जय शीतला माता…
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता। जय शीतला माता…
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता। जय शीतला माता…
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता। जय शीतला माता…
जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता। जय शीतला माता…
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता। जय शीतला माता…
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता। जय शीतला माता…
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता। जय शीतला माता…
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।
जय शीतला माता…।