षट्तिला एकादशी व्रत 2019 में 31 जनवरी (गुरुवार) को रखा जाएगा। शास्त्रों में इस एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार षट्तिला एकादशी माघ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को पड़ती है। शास्त्रों में माघ मास को देवताओं का और सबसे पवित्र मास माना गया है। मान्यता है कि षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन व्रत रखकर तिल मिश्रित जल से स्नान, दान, तर्पण और पूजा का विधान है।

षट्तिला एकादशी के दिन तिल का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन तिल का प्रयोग स्नान, प्रसाद, दान, तार्पण, पूजा-पाठ आदि चीजों में किया जाता है। तिल के कई प्रकार के प्रयोग के कारण ही इस दिन को षट्तिला एकादशी के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों में इस दिन तिल के छह प्रकार के दान और प्रयोग का अत्यंत महत्व है। जिसमें तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल मिश्रित जल का सेवन, तिल का तिलक, तिल का भोजन में प्रयोग, तिल से हवन शामिल हैं।

षट्तिला एकादशी शुभ मुहूर्त: एकादशी तिथि आरंभ- 03:33 बजे शाम, 30 जनवरी 2019, एकादशी तिथि समाप्त- 05:02 बजे शाम, 31 जनवरी 2019, षट्तिला एकादशी: पारण समय- एकादशी पारण समय- सुबह 07:14 से सुबह 09:22, 1 फरवरी 2019

पूजा विधि: षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल और उड़द से बनी खिचड़ी भोग लगानी चाहिए। साथ ही इस दिन रात्रि काल में तिल से कम से कम 108 बार ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा’ इस मंत्र से हवन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य षट्तिला एकादशी के दिन व्रत रखता है और विधि पूर्वक पूजन-हवन करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। साथ ही भगवान विष्णु उसके द्वारा अज्ञानतावश की गई सारी गलतियों को क्षमा कर देते हैं और पुण्य का दान देकर स्वर्ग में स्थान देते हैं।