नवरात्र के तीसरे दिन देवी की पूजा से साहस और निडरता में वृद्धि होने की है मान्यता, जानिये मंत्र और महत्व
Shardiya Navratri Day 3rd: माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद शांति देने वाला और कल्याण करने वाला है

Shardiya Navratri 2020: आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। बता दें कि 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। देवी दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। इन्हें माता शिवदूती का स्वरूप भी माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व व अन्य जरूरी बातें –
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप: माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद शांति देने वाला और कल्याण करने वाला है। उनके मस्तिष्क पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। यही कारण है कि उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। कहा जाता है कि देवी का शरीर सोने के समान ही चमकता रहता है और वो बाघ पर सवार होकर दैत्यों का संहार करती हैं। दस भुजाओं वाली देवी के प्रत्येक हाथ में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र हैं। साथ ही माता गले में सफेद फूलों की माला पहनती हैं।
नवरात्र तीसरे दिन का महत्व: ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के तीसरे दिन जो भी व्यक्ति विधि-विधान से मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, उन्हें अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि देवी के तीसरे रूप की पूजा करने से भक्त साहसी बनते हैं और उनमें डर की कमी होती है। साथ ही, मान्यता है कि इनकी पूजा करने से श्रद्धालु रोगमुक्त रहते हैं।
देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि: सबसे पहले नहा-धोकर पूजा घर साफ कर लें। देवी की स्थापित मूर्ति को गंगाजलन या फिर केसर और केवड़ा से स्नान कराएं। इसके उपरांत देवी को सुनहरे रंग के वस्त्र धारण कराएं। तदोपरांत, देवी मां को कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करें। फिर मिठाई, पंचामृत और मिश्री का भोग लगाएं। जो लोग दुर्गा पाठ करते हैं, वो चालीसा, स्तुति अथवा सप्तशती का पाठ करें।
मंत्र:
सरल मंत्र – ॐ एं ह्रीं क्लीं
उपासना मंत्र – पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता
बीज मंत्र – ऐं श्रीं शक्तयै नम:
महामंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
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