इन तीन राशियों पर चल रही है शनि की साढ़े साती, भूलकर भी न करें ऐसे काम, जानिये क्या है मान्यता
इस साल इन राशियों पर शनि की साढ़े साती और ढैय्या चल रही है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अपने कर्मों के सुधार के साथ ही दान करना चाहिए। जानिये शनिदेव को शांत करने के उपाय।

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली शनिदेव के पास सातवीं के साथ-साथ तीसरी और दसवीं दृष्टि भी होती है। शनिदेव बेईमान लोगों को दंड देते हैं, तो वहीं मेहनती और परिश्रमी लोगों को पुरस्कृत करते हैं। मान्यता है कि शनिदेव की दृष्टि जिस पर पड़ती है, उसका सर्वनाश हो जाता है। कहा जाता है कि वह कर्मों के हिसाब से सभी को फल देते हैं।
ऐसे में शनि की साढ़े साती और ढैय्या हमेशा ही व्यक्ति के जीवन पर बुरा असर डालती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर आपके कर्म अच्छे हैं और शनि देव कुंडली में मजबूत स्थिति में हैं तो इसके आपको शुभ परिणाम मिलेंगे। हालांकि, जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है, उसके जीवन में कई बड़ी मुश्किलें आती हैं।
बता दें, इस साल शनिदेव मकर राशि में विराजमान हैं। शनिदेव 23 मार्च को मकर राशि में वक्री होकर 11 अक्टूबर को फिर से मार्गी अवस्था में गोचर करेंगे। शनि की साढ़ेसाती का इन 3 राशियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा जिनमें धनु, मकर और कुंभ राशि शामिल हैं। वहीं, मिथुन और तुला राशि वालों को शनि की ढैय्या प्रभावित करेगी।
ऐसे करें शनिदेव को शांत: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अपने कर्मों के सुधार के साथ ही दान करना चाहिए। इसके साथ ही दया भाव भी दिखानी चाहिए। कहा जाता है कि मंत्रों के जाप से भी शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए शनिवार को शनि देव की कृपा पाने के लिए भक्त को स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करना चाहिए। साथ ही मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके अलावा दान देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इन मंत्रों का करें जाप-
ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
सामान्य शनि मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
शनिश्चरी अमावस्या को करें पूजा: ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। उस दिन पूजा करना विशेष शुभकारी माना गया है। इस दिन शाम को सूर्यास्त के बाद शनि देवा का पूजन और जप करना चाहिए। पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके काले कंबल पर बैठकर शनिदेव का पूजन करना चाहिए।