Shani Puja: हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इसी तरह शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शास्त्रों में शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से शुभ और अशुभ फल देते हैं। इसी कारण शनि की महादशा, शनि साढ़े साती और ढैय्या में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं, अगर किसी व्यक्ति के ऊपर शनिदेव की दृष्टि शुभ है, तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है, क्योंकि यह एक राशि में करीब ढाई वर्ष रहते हैं। ऐसे में व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शनि की साढ़े साती, ढैय्या, महादशा से निजात पाने के लिए उनकी विधिवत पूजा करने के साथ उपाय करने का विधान है। शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त हो इसके लिए हर शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर जाकर दर्शन करने के साथ-साथ सरसों का तेल अर्पित करने के साथ दीपक जलाते हैं। लेकिन कुछ ऐसी गलती कर देते है जिसके कारण शनिदेव के कोप का भाजन बनते हैं। जानिए वह कौन सी बातें है जिन्हें शनिदेव के मंदिर जाते समय जरूर ध्यान रखना चाहिए।
मंदिर के बाहर से सरसों का तेल खरीदना
भगवान शनि को सरसों का तेल अर्पित करने के साथ-साथ दीपक जलाना शुभ माना जाता है। ऐसे में अधिकतर लोग शनिवार के दिन ही मंदिर में जाकर बाहर से तेल और दीपक खरीद लेते हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। हमेशा एक दिन पहले शुक्रवार के दिन सरसों के तेल खरीद लेना चाहिए और फिर शनिवार के दिन इसे अर्पित करना चाहिए। माना जाता है कि घर में भी शनि का प्रभाव होता है। ऐसे में अगर आप घर से किसी चीज को लेकर शनिदेव पर चढ़ाएंगे, तो घर में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही ऐसा करने से ही शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शनिदेव की मूर्ति को देखना
शास्त्रों में इस बात को अच्छी तरह से बताया गया है कि जब व्यक्ति पर शनिदेव की दृष्टि पड़ती है उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। इसलिए शनिदेव के दर्शन करते समय कभी भी उनकी शक्ल नहीं देखनी चाहिए। हमेशा नजरे झुकाकर पूजा अर्चना करनी चाहिए। इसके साथ ही हमेशा बैठकर जमीन में माथा लगाकर प्रणाम करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा न करने से शनि की अशुभ दृष्टि पड़ जाती है।