Shani Pradosh Vrat 2020: इस बार प्रदोष व्रत 12 नवंबर, शनिवार को किया जाएगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को है इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। बताया जाता है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ ही शनिदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है, उसे सभी रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति की कुंडली के सभी दोष भी खत्म हो जाते हैं। माना जाता है कि प्रदोष व्रत बहुत प्रभावशाली होता है।
प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)
प्राचीन काल में एक सेठ और सेठानी थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। वह बहुत दुखी रहा करते थे। जब समय आगे बढ़ता चला गया और उम्र बढ़ने लगी तो सेठ-सेठानी ने फैसला किया कि वो तीर्थ यात्रा करने जाएंगे। यह विचार कर वो जब घर से निकले तो थोड़ी दूर पर ही उन्हें एक साधु मिले।
सेठ-सेठानी ने सोचा कि तीर्थ यात्रा की शुरुआत उनके आशीर्वाद से की जाए। जब साधु महाराज ध्यान से उठे तो सेठ-सेठानी को अपने पास देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कहा कि तीर्थ से लौटकर आप दोनों शनि प्रदोष व्रत करें। इस व्रत के प्रभाव से आपको संतान की प्राप्ति होगी। सेठ-सेठानी ने तीर्थ से लौटकर ऐसा ही किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।
शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ॐ जय शिव॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ॐ जय शिव॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ॐ जय शिव॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥ॐ जय शिव॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे, सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ॐ जय शिव॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ॐ जय शिव॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥ॐ जय शिव॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी, नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥ॐ जय शिव॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥ॐ जय शिव॥