Shani Sade Sati 2021: शनि देव इस समय अपनी ही राशि मकर में विराजमान हैं। मकर वालों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण, धनु वालों पर इसका प्रथम चरण और कुंभ वालों पर साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अच्छे कार्य करते हैं शनि देव उन्हें परेशान नहीं करते हैं।
शनि देव की प्रिय राशियां: शनि देव की तीन राशियां सबसे प्रिय मानी जाती हैं। ये राशियां हैं तुला, मकर और कुंभ। तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं और शनि देव इस राशि में उच्च के होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस राशि के जातकों पर शनि की विशेष कृपा रहती है। मकर और कुंभ राशि के शनि स्वामी ग्रह हैं। इसलिए इन राशि के जातकों पर भी इनकी विशेष कृपा रहती है।
कैसे बनती है शनि की साढ़े साती? किसी व्यक्ति की जन्मराशि से शनि जब द्वादश अथवा प्रथम या द्वितीय स्थान में स्थित हों तब शनि की साढ़े साती बनती है। साढ़े साती के दौरान जातक को मानसिक परेशानियां, शारीरिक दिक्कतें, क्लेश, अधिक खर्चों का सामना करना पड़ता है। शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं। इसका प्रभाव एक राशि पहले से एक राशि बाद तक पड़ता है।
कब शनि साढ़े साती होती है शुभ? अगर शनि ग्रह कुंडली में तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में हो तो साढ़े साती का अच्छा परिणाम देखने को मिलता है। इसके अलावा जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उसे भी शनि साढ़े साती के दौरान लाभ प्राप्त होता है। कहते हैं कि शनि की साढ़े साती के दौरान किसी भी तरह के गलत काम नहीं करने चाहिए। जो जातक शनि की साढ़े साती से पीड़ित हैं उन्हें हर शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
शनि मंत्र: शनि की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार को शनि मंत्र का संकल्पपूर्वक जप करना चाहिए। मंत्र है- ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ प्रत्येक शनिवार इस मंत्र की कम से कम 3 माला जरूर जप करनी चाहिए। साथ ही निम्न शनि स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए।