वैदिक पंचांग के मुताबिक लगभग हर माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है जिन्हें पंचक कहा जाता है। प्रत्येक माह का पंचक अलग-अलग होता है तो किसी माह में शुभ कार्य नहीं किया जाता है तो किसी माह में किया जाता है। इस बार 25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05 बजकर 30 मिनट से पंचक शुरू हो रहीं हैं। जो 29 अप्रैल, शुक्रवार शाम 6 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होंगी। आइए जानते हैं कैसे लगती हैं पंचक और क्या होता है इसका प्रभाव…
ऐसे लगतीं हैं पचंक:
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूवार्भाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। वहीं जब चंद्रमा का गोचर कुंभ और मीन राशि में होता है, तो भी ‘पंचक’ की स्थिति बनती है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहा जाता है।
वैदिक पंचांग के मुताबिक पंचक 25 अप्रैल 2022, सोमवार को वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ हो रहीं है। इसके साथ ही पंचक का समापन 29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को होगा। वहीं इसी दिन शनि देव का राशि परिवर्तन भी होगा। मतलब इस दिन शनि मकर राशि से कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इसलिए इस बार की पंचक इसलिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रहीं हैं। आइए जानते हैं पंचक के प्रारंभ और समाप्त होने का समय-
पंचक प्रारंभ: 25 अप्रैल, सोमवार को प्रात: 5 बजकर 30 मिनट से।
पंचक समाप्ति: 29 अप्रैल, शुक्रवार शाम 6 बजकर 43 मिनट पर।
पंचक में इन कार्यों की होती है मनाही:
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पंचक के दौरान पांच कार्यों को करना निषेध माना गया है। माना जाता है कि पंचक के दौरान चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना जाता। वहीं विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से आपके ऊपर कोई संकट आ सकता है। इसके अलावा पंचक के दौरान घास, लकड़ी, आदि जलने वाली वस्तुएं एकत्र नहीं करनी चाहिए।
वहीं तीसरा काम दक्षिण दिशा में पंचकों के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह दिशा यम और पितरों की मानी गई है। इसलिए इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है। जबकि चौथा काम पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। ऐसा करने से घर में क्लेश और धन की हानि हो सकती है। इसके साथ ही पंचवा और अंतिम शय्या का निर्माण पंचकों के दौरान नहीं करना चाहिए।
पंचक काल में अगर मृत्यु हो जाए:
विद्वानों के अनुसार पंचक काल में मृत्यु होना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल हो जाती है तो व्यक्ति के परिवार, कुल या रिश्तेदारी में किसी प्रकार की कोई जन हानि हो सकती है। वहीं इससे बचने के लिए मृतक के शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश के बनाकर रखने की मान्यता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।