भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में 14 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। पुराणों के मुताबिक इस दिन व्रत रखने से कई गुना फल मिलता है और उन्हें दिव्य आनंद का अनुभव होता है। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा सुनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा इस प्रकार है…

स्कंद पुराण के मुताबिक द्वापर युग के दौरान मथुरा में राजा उग्रसेन राज करते थे, लेकिन उनके पुत्र कंस ने उनसे गद्दी छीन ली थी। उग्रसेन की एक बेटी देवकी भी थीं। देवकी की शादी यदुवंशी सरदार वसुदेव से हुई थी। जब इनका विवाह हुआ तो कंस खुद रथ को हांकते हुए अपनी बहन को ससुराल छोड़कर आया था। उसी दौरान आकाश से एक आकाशवाणी हुई, ‘हे कंस, जिस देवकी को तू प्रेम के साथ ससुराल विदा करने जा रहे है, उसकी ही आठवीं संतान तुम्हारा विनाश करेगी।’ जैसे ही कंस ने यह सुना तो वह गुस्सा हो गया और उसने अपनी बहन को ही मारने की कोशिश की। यह देखकर यदुवंशी भी गुस्सा हो गए और युद्ध की स्थिति बन गई, लेकिन वसुदेव युद्ध नहीं चाहते थे। उन्होंने कंस को वादा किया कि तुम्हें देवकी से डरने की जरूरत नहीं है, जैसे ही हमारी आठवीं संतान पैदा होगी, तुम्हें सौंप दी जाएगी। इस पर कंस मान गया।

इसके बाद कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को जेल में बंद कर दिया और उसके बाहर कड़ा पहरा लगवा दिया। इस दौरान देवकी और वसुदेव को जो सात संतान हुईं, उन्हें कंस ने मार दिया। इसके बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। उसी समय यशोदा ने एक कन्या को जन्म दिया था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो उस वक्त भगवान विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने वसुदेव से कहा कि मैं ही तुम्हारे बच्चे के रूप में जन्मा हूं। भगवान विष्णु ने ही वसुदेव को सलाह दी कि तुम मुझे अभी नंदजी के घर वृंदावन में छोड़कर आ जाएं और वहां जो कन्या पैदा हुई है, उसे लाकर कंस को दे दो।

वसुदेव ने भगवान विष्णु की बात मानी और भगवान श्री कृष्ण को लेकर वृंदावन में नंदजी के घर पहुंच गए। इस दौरान वसुदेव को यह देखकर हैरानी हुई कि सारे पहरेदार सोए हुए हैं, उनकी हाथों की बेड़ियां खुल गईं और यमुना नदी ने उन्हें अपने आप रास्ता दे दिया। इसके बाद वे भगवान कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को मथुरा ले आए। इसके बाद जब कंस को पता लगा कि देवकी को बच्चा हुआ है तो वह वहां पहुंचा और उस कन्या को मारने की कोशिश की, लेकिन वह कन्या आकाश में उड़ गईं। उसके बाद आसमान से आकाशवाणी हुई, ‘मुझे मारने से क्या होगा, तुम्हें मारने वाला वृंदावन में है, वह जल्द ही तुम्हें पापों की सजा देगा।’ इसके बाद कंस ने कई बार भगवान श्री कृष्ण को मारने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें नाकाम रहा। जब भगवान श्री कृष्ण युवा हुए तो उन्होंने एक दिन अपने मामा कंस का वध कर दिया।