Surya Shashthi, Moriyayi Chhath, Lolark Shashthi: भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के छठे दिन सूर्य षष्ठी या ललिता षष्ठी या मोरियायी छठ या लोलार्क षष्ठी का आयोजन किया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और उपासक को सूर्य का तेज प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व भी बताया गया है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए सूर्य देव ने काशी में शरण ली थी। इन दिन यानि कि लोलार्क षष्ठी के दिन काशी के लोलार्क कुंड या सूर्य कुंड में स्नान करने की परंपरा है। सुबह से ही इस पर्व पर लोग काशी के इस कुंड में स्नान करने के लिए उपस्थित हो जाते हैं। लोलार्क कुंड से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिसके कारण यहां बड़ी संख्या में लोग स्नान करने आते हैं।
एक मान्यता यह भी कि इस दिन व्रत रखने से जातक को नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है और उसे कोढ़ यानि कुष्ठ रोग आदि नहीं होते हैं। इस व्रत में लाल रंग का विशेष महत्व बताया गया है। कनेर के फूल, गुलाल और लाल वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। शाम को सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
लोलार्क षष्ठी तिथि 2022
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 01 सितंबर 2022 के दोपहर 02:49 बजे से प्रारंभ हो गई। यह तिथि 02 सितंबर दोपहर 01:51 बजे समाप्त होगी। यद्यपि आज सूर्योदय के आधार पर षष्ठी की तिथि मान्य है, इसलिए आज लोलार्क षष्ठी मनाई जा रही है। सूर्य देव से जुड़ी तिथि होने के कारण आज सूर्य देव की पूजा करने के कई फायदे हैं।
लोलार्क षष्ठी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार लोलार्क षष्ठी के दिन बनारस के लोलार्क कुंड में यदि महिलाएं स्नान करती हैं तो संतान की प्राप्ति होती है और इसके साथ ही चर्म रोग से पीड़ित लोगों को भी यहां स्नान करने से लाभ मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोलार्क कुंड में स्नान करने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इन दो कारणों से लोलार्क षष्ठी पर काशी में स्नान करने के लिए अधिक संख्या में लोग पहुंचते हैं। स्नान से जुड़ी एक और मान्यता है कि आप जिस वस्त्र को पहनकर यहां स्नान करते हैं उसे अपने साथ घर वापस नहीं ले जाना है। उसे यहीं कुंड के समीप छोड़ देना है।