शूर्पणखा लंका के राजा रावण की बहन और दानवों के राजा कालका के पुत्र की पत्नी थी। कई दानवों को मारकर समस्त संसार पर राज करने की इच्छा करने वाले रावण ने अपनी बहन के पति का भी वध कर दिया था। रावण ने उसे आश्वासन देते हुए भाई खर के पास रहने के लिए भेज दिया तभी भगवान राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के लिए जंगलों में भटक रहे थे। वहां राम को देखने के बाद शूर्पणखा उनपर मुग्ध हो गई। उसने अपना परिचय राम को इस तरह दिया कि मैं इस प्रदेश में स्वेच्छाचारिणी राक्षसी हूं। यहां मुझसे सब भयभीत रहते हैं। विश्रवा का पुत्र बलवान रावण मेरा भाई है। और मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूं। राम ने उसे बताया कि उनका विवाह हो गया है लेकिन उनका छोटा भाई अविवाहित है तो वो उनके पास जाए।
लक्ष्मण के पास जाकर भी शूर्पणखा ने विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन लक्ष्मण ने उन्हें मना कर दिया और राम के पास वापस जाने के लिए कहा। तब राक्षसी शूर्पणखा ने कहा कि वो अभी सीता को मार देगी तो कोई आपके विवाहित होने की समस्या नहीं बचेगी और वो सीता को मारने के लिए जैसी ही आगे बढ़ी, तभी लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट दी थी। इस बात से क्रोधित होकर शूर्पणखा अपने भाई खर के पास गईं तो खर ने राम और लक्ष्मण को मारने के लिए राक्षस भेजे लेकिन राम ने सभी राक्षसों को मार दिया।
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शूर्पणखा अधिक क्रोधित होकर रावण के पास गई तब रावण ने अपनी बहन को आश्वासन दिया कि उसके इस अपमान का वो बदला लेकर रहेगा। रावण ने उसके बाद सीता का अपहरण किया और सीता को बचाने के लिए राम और लक्ष्मण ने हनुमान और वानर सेना की मदद से लंका पर विजय की थी। ऐसा माना जाता है कि शूर्पणखा ने रावण से अपने पति के वध का बदला लेने के लिए ये सब किया था, लेकिन इस बात का कहीं प्रमाण नहीं मिलता है।